कूकर बम की शुरुआत
ध्वस्त कैम्प से तैयार कूकर बम बरामद हुआ, जिससे जाहिर हो रहा है कैम्प में बाकी माओवादियों को कूकर बम बनाया सिखाया जा रहा था। कूकर आसानी से उपलब्ध हो जाता है। यह तीन से चार लोगों को बुरी तरह घायल करने या जान लेने के लिए काफी होता है। इससे पूर्व राजनांदगांव जिले में भी बड़ी मात्रा में कूकर बम बरामद हुए थे।
गुमशुदा हो रहे लोग
अब प्रमुख रूप से चिंता का विषय है कि कहीं वनांचल में निवासरत बैगा-आदिवासियों को तो माओवादी अपने साथ शामिल नहीं कर रहे। आए दिन शहर के लेकर गांव के महिला, पुरुष, युवक, युवती, बालक, बालिका गुमशुदा होते हैं। अभी ढाई माह के भीतर ही 47 लोग गुमशुदा हुए, जिसमें केवल 9 को घर लौटे। इसी तरह पिछले वर्ष 2018 में कुल 304 लोग गुमशुदा हुए, इसमें से 228 वापस हुए या पुलिस ने ढूंढा। वहीं वर्ष 2014 से 2018 तक कुल 536 महिलाएं और ३५० बच्चे गुमशुदा हुए। इसमें से 512 महिलाएं और 333 बच्चों को ढूंढा गया। जबकि 91 आज भी लापता हैं।
बड़ी संख्या में पर्चे व किताब भी मिले
माओवादियों के कैम्प से बड़ी संख्या में साहित्य, किताब व पर्चे भी मिले। कुछ किताब ऐसे थे जैसे कक्षा लेकर पढ़ाई कराई जाती है। वहीं कुछ फार्म की तरह किताब थे, जिसमें नाम, पता सहित अन्य जानकारियां भरी जाती है। किताबों पर गौर करने पर तो यही लगता है कि माओवादी नए सदस्यों की भर्ती उन्हें ट्रेनिंग ही दे रहे हैं।
माओवादी सीजन
बरसात व ठंड के दिनों की अपेक्षा गर्मी के दिनों में जंगलों में रहना आसान होता है। इसके चलते माओवादियों के ट्रेनिंग और हमले करने का मुख्य सीजन गर्मी के दिनों में ही होता है। ऐसे कैम्प से तैयार कूकर बम सहित विस्फोटक सामग्री का मिलना और जिले में माओवादी सुरेन्दर सिंह का रहना चिंता का विषय है, क्योंकि सामने लोकसभा चुनाव है।