scriptकामठी के सार्वजनिक तालाब पर दबंगों का कब्जा | Captivity of the public pond of Kamthi | Patrika News

कामठी के सार्वजनिक तालाब पर दबंगों का कब्जा

locationकवर्धाPublished: Apr 22, 2019 05:00:37 pm

Submitted by:

Panch Chandravanshi

पटवारी हल्का नंबर 12, ख़सरा नंबर 176 के अनुसार तालाब का रकबा 9 एकड़ 15 डिसमिल है, जिसमे साफ उल्लेखित है कि कब्जेदार छग शासन और स्वामित्व शासकीय भूमि है।

Pandemonium

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कवर्धा. पांडातराई. शासकीय भूमि पर अतिक्रमण कर कब्जा जमाने की बात तो बहुत सुनी होगी, लेकिन शासकीय तालाब पर कब्जा शायद ही सुना होगा। ग्राम कामठी में कुछ दबंगों ने शासकीय तालाब पर कब्जा जमा लिया है और उसका निजी उपयोग कर रहा है। इसके बाद भी कार्रवाई न होना समझ से परे हैं।
पंडरिया तहसील के अंतर्गत ग्राम पंचायत कामठी स्थित शासकीय तालाब जिसका नाम शासकीय रिकॉर्ड के अनुसार नारसिह तालाब है। पटवारी हल्का नंबर 12, ख़सरा नंबर 176 के अनुसार तालाब का रकबा 9 एकड़ 15 डिसमिल है, जिसमे साफ उल्लेखित है कि कब्जेदार छग शासन और स्वामित्व शासकीय भूमि है। उक्त तालाब में वर्ष 1989 शासकीय मद से पंचायत द्वारा गहरीकरण का काम भी किया गया था, जिसे तहसील मुख्यालय पंडरिया के कुछ रसूखदार दबंगों द्वारा कब्ज़ा कर मछली पालन किया जा रहा है, जिस का आम लोग तो विरोध करते हैं, लेकिन ग्राम पंचायत के सरपंच, सचिव व अन्य जिम्मेदारों को इसकी कोई परवाह नहीं है। इसी के चलते रसूखदार सार्वजनिक तालाब का निजी लाभ ले रहे हैं।
ग्राम के एक नहीं, पांच तालाब में है कब्ज़ा
ग्राम पंचायत कामठी में एक नहीं पांच तालाबों पर कब्जा किया गया है। ग्रामीणों से चर्चा की गई तो उनका कहना है की राजवाड़ा जमीन कह कर ग्राम के अन्य पांच तालाबों में भी कब्ज़ा किया गया है, जिसका खामियाजा हमें भुगतना पड़ता है हमें जरूरत के लिए पानी निकासी नहीं मिलती न ही उक्त तालाब में ग्रामवासी मछली पालन कर सकते हैं। वहीं ग्राम पंचायत को प्रति वर्ष ठेके के राशी के रूप में मिलने वाले लाखों रुपए की राजस्व की भी हानी हो रही है, जो की निश्चित रूप से ग्राम विकाश में सहायक होती।
जनजाति समूह को नहीं मिल रहा लाभ
ग्राम पंचायत कामठी में ५० प्रतिशत जनसंख्या अनुसूचित जाति व जनजाति के लोग है। इनके द्वारा रोजगार के लिए समूह संचालित भी किए जाते हैं। शासन के नियमानुसार अनुसूचित जाति व जनजाति के लोगों के समूहों को मछली पालन के लिए तालाब आवंटन में प्राथमिकता दी जाती है, लेकिन तहसील मुख्यालय के कुछ लोगों के दबंगई के चलते अनुसूचित जाति व जनजाति के लोगों को लाभ नहीं मिल रहा है।
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