छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा जारी १०वीं-१२वीं में इस बार कबीरधाम काफी पीछे हो गया। कक्षा १०वीं में रिजल्ट तो जैसे-तैसे ठीक ही रहा, लेकिन १२वीं में तो बेहद कमजोर साबित हुए। तीन साल में इस बार सबसे कमजोर प्रदर्शन रहा। पांचवें स्थान से छठवें पहुंचे और छठवें स्थान से गिरकर सीधे १८वें स्थान पर जा गिरे। पड़ोसी जिले मुंगेली और बेमेतरा आगे निकल गए। जिला प्रशासन ने लक्ष्य बनाया रिजल्ट ९० प्लस आना चाहिए, जो ख्याली बुलाव साबित हुआ। लक्ष्य के हिसाब से न तो जिला प्रशासन के अधिकारियों ने काम किया और नहीं शिक्षा विभाग के शिक्षकों ने।
वर्ष प्रथम द्वितीय तृतीय प्रतिशत
२०१६-१७ १३९९ ३२०८ १२१७ ८१.२९
२०१७-१८ २६३५ ३२२८ ९८३ ८०.७४
२०१८-१९ १९१० ३७३६ १०४८ ७५.६६ २१५४ विद्यार्थी फेल
१२वीं में इस बार प्रथम व द्वितीय श्रेणी प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों की संख्या घट गई, क्योंकि पूरक और तृतीय श्रेणी वाले विद्यार्थियों की संख्या बढ़ी। १२वीं में ८४६ अनुत्तीर्ण हुए और १३०७ विद्यार्थी पूरक पात्र बने। वहीं १०४८ तृतीय श्रेणी से उत्तीर्ण हुए। पिछले वर्ष ७७८ पूरक आए थे जबकि ९८३ विद्यार्थी तृतीय श्रेणी में। इसी तरह १०वीं में इस बार १३०८ विद्यार्थी फेल हो गए, जबकि ८४१ पूरक आए।
रिजल्ट कम आते ही अधिकारी विधानसभा-लोकसभा चुनाव का बहाना बना रहे हैं। लेकिन ध्यान रहे कि चुनाव केवल कबीरधाम में नहीं पूरे छत्तीसगढ़ में था। ऐसे में रिजल्ट कमजोर आने का एक प्रमुख कारण अधिकारियों की कमजोर मॉनिटरिंग रही। अधिकारियों ने व्याख्याता और शिक्षकों को प्रोत्साहित ही नहीं किया और न ही फीडबैक लिया गया कि पढ़ाई चल कैसे रही है। केवल निचले अधिकारियों को निर्देश्र देते रहे।