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सरकार ये बच्चों के साथ नाइंसाफी है.., एक शिक्षक के भरोसे 74 स्कूल

locationकवर्धाPublished: Jul 03, 2019 07:53:20 pm

Chhattisgarh Education : जहां एक शिक्षक ही स्कूल को संभाले हुए हैं। मतलब हजारों बच्चों का भविष्य दांव पर लगा हैं, जबकि यह नींव है।

Chhattisgarh education

सरकार ये बच्चों के साथ नाइंसाफी है.., एक शिक्षक के भरोसे 74 स्कूल

कवर्धा. इसे आश्चर्य कहें या दुर्भाग्य की आज भी कवर्धा जिले में एक शिक्षक के भरोसे एक शासकीय स्कूल संचालित हो रहे हैं। इसमें एक-दो स्कूल नहीं बल्कि 74 प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक स्कूल हैं, जहां एक शिक्षक ही स्कूल को संभाले हुए हैं। मतलब हजारों बच्चों का भविष्य दांव पर लगा हैं, जबकि यह नींव (Chhattisgarh education) है।
वनांचल क्षेत्रों में शिक्षा की नींव काफी कमजोर दिखाई दे रही है। प्राथमिक स्कूल ही शिक्षा की नींव है, लेकिन यह कमजोर रहे तो बेहतर इमारत खड़ी नहीं हो सकती। इमारत खड़ी होगी तो टीक नहीं सकती। ऐसा ही हाल कबीरधाम के वनांचल का है, जहां पर जैसे तैसे शिक्षा प्रदान की जा रही है। जिले में कुल 973 प्राथमिक और 492 पूर्व माध्यमिक स्कूल हैं, लेकिन पंडरिया और बोड़ला विकासखंड अंतर्गत 74 प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक स्कूल एक-एक शिक्षक के भरोसे संचालित हो रहे हैं।
इसमें 36 प्राथमिक और 38 पूर्व माध्यमिक स्कूल हैं, जहां एक शिक्षक ही कक्षा पहली से पांचवीं तक और कक्षा छठवीं से आठवीं तक एक-एक शिक्षक ही स्कूल को संभाले हुए हैं। ऐसे में उक्त स्कूल के बेहतर शिक्षा की उम्मीद भी कैसे की जा सकती है। यह शासन और प्रशासन की सबसे बड़ी नाकामी है।
पंडरिया में 43 तो बोड़ला में 31
जिले के बोड़ला और पंडरिया विकासखंड में कुल 74 स्कूल में अध्यापन कार्य बेहद कमजोर हैं क्योंकि यह एकल शिक्षक स्कूल है। बोड़ला ब्लॉक की बात करें तो यहां कुल 31 स्कूल हैं जहां पर एक से अधिक शिक्षक ही नहीं है। इसमें 18 प्राथमिक और 13 पूर्व माध्यमिक स्कूल हैं। वहीं पंडरिया ब्लॉक में 43 एकल शिक्षक स्कूल हैं। इसमें 18 प्राथमिक और 25 पूर्व माध्यमिक स्कूल हैं।
एक कमरे में पांच कक्षाएं
जो स्कूल एकल शिक्षक हैं, वहां पर पढ़ाई एक ही कमरेे में होती है। एक शिक्षक एक ही समय पर अलग-अलग कक्षाओं में मौजूद तो नहीं रह सकता। ऐसे में एक ही कमरे में कक्षा पहली से पांचवीं तक बच्चों को एकत्रित किया जाता है और पढ़ाया जाता है। कक्षा पहली के लिए भी वहीं ज्ञान और कक्षा पांचवीं के विद्यार्थियों के लिए भी वहीं ज्ञान दिया जाता है। बच्चे घर में जो पढ़ लिए वहीं महत्वपूर्ण है। इसके चलते ही तो आज भी वनांचल के कई स्कूल में कक्षा पांचवीं तक के विद्यार्थी कक्षा पहली की किताब नहीं पढ़ पाते।
एक शिक्षक और पांचवीं तक 125 बच्चे
ग्राम अमिनिया का प्राथमिक स्कूल, जहां पिछले वर्ष कक्षा पहली से पांचवीं तक 125 बच्चे अध्ययनरत रहे, जबकि शिक्षक एकमात्र। अधिकतर बच्चे बैगा और आदिवासी थे। शिक्षक दिव्यांग है बावजूद कक्षा पहली से पांचवीं तक के बच्चों को पढ़ाया, ऑफिस कार्य किया, परीक्षा लिया, रिजल्ट तैयार किया। अब अनुमान लगाएं कि प्रशासनिक व्यवस्था की कमजोरी के कारण यहां अध्ययनरत बैगा-आदिवासी कितना और क्या सीख पा रहे हैं।
एकल शिक्षक के स्कूल कार्य
एकल शिक्षकीय स्कूल में अकेला शिक्षक ही प्रधानपाठक है जो बाबू बनकर ऑफिस कार्य करता है। सभी कक्षाओं के बच्चों को अध्यापन कार्य कराता है। साथ ही वह शिक्षक संकुल स्तर से लेकर विकासखंड और जिला स्तरीय मीटिंग में जाता है। साथ ही शासन-प्रशासन के आदेश पर तमाम तरह के प्रशिक्षण लेता है। स्कूल के आयोजन और अधिकारियों आवभगत भी इन्हें ही करना है। बाजवूद अधिकारियों को स्कूल में शिक्षा गुणवत्ता चाहिए।
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