जिले के बोड़ला और पंडरिया विकासखंड में कुल 74 स्कूल में अध्यापन कार्य बेहद कमजोर हैं क्योंकि यह एकल शिक्षक स्कूल है। बोड़ला ब्लॉक की बात करें तो यहां कुल 31 स्कूल हैं जहां पर एक से अधिक शिक्षक ही नहीं है। इसमें 18 प्राथमिक और 13 पूर्व माध्यमिक स्कूल हैं। वहीं पंडरिया ब्लॉक में 43 एकल शिक्षक स्कूल हैं। इसमें 18 प्राथमिक और 25 पूर्व माध्यमिक स्कूल हैं।
जो स्कूल एकल शिक्षक हैं, वहां पर पढ़ाई एक ही कमरेे में होती है। एक शिक्षक एक ही समय पर अलग-अलग कक्षाओं में मौजूद तो नहीं रह सकता। ऐसे में एक ही कमरे में कक्षा पहली से पांचवीं तक बच्चों को एकत्रित किया जाता है और पढ़ाया जाता है। कक्षा पहली के लिए भी वहीं ज्ञान और कक्षा पांचवीं के विद्यार्थियों के लिए भी वहीं ज्ञान दिया जाता है। बच्चे घर में जो पढ़ लिए वहीं महत्वपूर्ण है। इसके चलते ही तो आज भी वनांचल के कई स्कूल में कक्षा पांचवीं तक के विद्यार्थी कक्षा पहली की किताब नहीं पढ़ पाते।
ग्राम अमिनिया का प्राथमिक स्कूल, जहां पिछले वर्ष कक्षा पहली से पांचवीं तक 125 बच्चे अध्ययनरत रहे, जबकि शिक्षक एकमात्र। अधिकतर बच्चे बैगा और आदिवासी थे। शिक्षक दिव्यांग है बावजूद कक्षा पहली से पांचवीं तक के बच्चों को पढ़ाया, ऑफिस कार्य किया, परीक्षा लिया, रिजल्ट तैयार किया। अब अनुमान लगाएं कि प्रशासनिक व्यवस्था की कमजोरी के कारण यहां अध्ययनरत बैगा-आदिवासी कितना और क्या सीख पा रहे हैं।
एकल शिक्षकीय स्कूल में अकेला शिक्षक ही प्रधानपाठक है जो बाबू बनकर ऑफिस कार्य करता है। सभी कक्षाओं के बच्चों को अध्यापन कार्य कराता है। साथ ही वह शिक्षक संकुल स्तर से लेकर विकासखंड और जिला स्तरीय मीटिंग में जाता है। साथ ही शासन-प्रशासन के आदेश पर तमाम तरह के प्रशिक्षण लेता है। स्कूल के आयोजन और अधिकारियों आवभगत भी इन्हें ही करना है। बाजवूद अधिकारियों को स्कूल में शिक्षा गुणवत्ता चाहिए।