scriptडोर-टू-डोर जाकर नकली ईवीएम से बता रहे कैसे करे वोट | Chhattisgarh Election: How to vote by telling fake by EVMs | Patrika News

डोर-टू-डोर जाकर नकली ईवीएम से बता रहे कैसे करे वोट

locationकवर्धाPublished: Nov 19, 2018 02:05:01 pm

Submitted by:

Deepak Sahu

प्रत्याशी और कार्यकर्ता शहर से लेकर गांव तक डोर टू डोर संपर्क साधने में जुट रहे हैं। मतदाताओं के पास जाकर ईवीएम में वोट कैसे करना है बता रहे

election Chhattisgarh 2018

डोर-टू-डोर जाकर नकली ईवीएम से बता रहे कैसे करे वोट

कवर्धा . छत्तीसगढ़ में मतदान के 48 घंटे पहले मतलब 18 नवंबर शाम 5 बजे चुनावी शोरगुल पर विराम लग गया। वहीं अब प्रत्याशी और कार्यकर्ता मतदाताओं से केवल डोर टू डोर जनसंपर्क करने में जुट चुके हैं।
केवल एक दिन शेष, इसके बाद 20 नवंबर को मतदान। इसके लिए जिले के दोनों विधानसभा के प्रत्याशी और राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं ने कमर कस ली है। प्रत्याशी और कार्यकर्ता शहर से लेकर गांव तक डोर टू डोर संपर्क साधने में जुट रहे हैं। हाथ जोड़कर, पांव पकड़कर वोट मांग रहे हैं। वहीं मतदाता जिनते भी प्रत्याशी उनके पास पहुंच रहे हैं उन्हें केवल सिर हिलाकर हां में जवाब दे रहे हैं।
नकली ईवीएम से दे रहे मतदाताओं को जानकारी
पार्टी कार्यकर्ता अपने प्रत्याशी की जीत के लिए मतदाताओं के पास जाकर उन्हें ईवीएम में वोट कैसे करना है बता रहे हैं। इसके लिए नकली ईवीएम के माध्यम से समझाया जा रहा है। मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में बुजुर्गों को इसकी जानकारी दे रहे हैं। वहीं जागरुकता कार्यक्रम के तहत प्रशासन ने भी इसी तरह लोगों को ईवीएम की जानकारी दी।
नहीं पहुंचा स्लीप
मतदाताओं के पास अब भी प्रशासन की ओर से वोटर स्लीप नहीं पहुंचा है, जबकि राजनीतिक पार्टी की ओर से स्लीप पहुंचा दिया गया है। वहीं नए मतदाता, छूटे हुए नाम जुड़वाए व स्थान परिवर्तन वाले मतदाताओं के वोटर आईडी कार्ड भी नहीं मिल सके हैं। इसके चलते मतदाता असुविधा में हैं।
मतदाताओं को लुभा रहे
राजनीतिक दल के कार्यकर्ता मतदाताओं को लुभाने के कार्य में जुट चुके हैं। कवर्धा शहर में तीन से चार वार्ड के लिए एक प्रभारी है। कार्यकर्ताओं के साथ घर-घर जाकर मतदाताओं से मुलाकात कर उनकी संख्या, महिला व पुरुष की संख्या पूछ रहे हैं, ताकि उनके लिए प्रलोभन की सामग्री दे सके। हालांकि अब तक सामग्री वितरण की शिकायत प्रशासन को नहीं मिली है। गांवों में तो शराब पिलाने, प्रचार प्रसार में शामिल होने के लिए रोजी, वहीं सभा में जाने के लिए पेट्रोल व खाने की लिए राशि देने के कार्य पूर्व में हो चुके हैं।
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