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नगरवासियों को नए सरकार से उम्मीदें

locationकवर्धाPublished: Jan 14, 2019 12:54:34 pm

Submitted by:

Panch Chandravanshi

करोड़ों का बाजार है, लेकिन सड़क पर सब्जियां बिकती है। व्यापारियों के लिए भी जगह नहीं है। बस स्टैण्ड है, लेकिन अनुपात में छोटा। वाहन चालकों से लेकर यात्री तक परेशान रहते हैं। सफाई व्यवस्था पर भी लाखों रुपए खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन कचरा नाली और सड़कों पर ही दिखाई देता है।

Expectations from the new government

Expectations from the new government

कवर्धा. राज्य निर्माण के बाद कवर्धा नगर के विकास ने रफ्तार तो पकड़ी, लेकिन जिस गति से विकास होना चाहिए था। उस गति से विकास नहीं हो पाया। नगर में आज भी बड़े शहरों के तर्ज पर न तो यातायात की सुगम व्यवस्था है और न ही मनोरंजन के साधन। लोगों की उम्मीदें अब नए सरकार से बंधी हैं और भूपेश सरकार से शहर को बेहतर रूप में देखना चाहते हैं।
करोड़ों का बाजार है, लेकिन सड़क पर सब्जियां बिकती है। व्यापारियों के लिए भी जगह नहीं है। बस स्टैण्ड है, लेकिन अनुपात में छोटा। वाहन चालकों से लेकर यात्री तक परेशान रहते हैं। सफाई व्यवस्था पर भी लाखों रुपए खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन कचरा नाली और सड़कों पर ही दिखाई देता है। यहीं हाल यातायात व्यवस्था का है। पार्किंग के अभाव में दुकान से लेकर सड़क तक केवल वाहनों की कतार है। नगरवासियों के लिए व्यवस्थित चौपाटी तक नहीं है। इसके कारण अब नए सरकार से नई उम्मीद बंदी हुई है।
बाजार की व्यवस्था सुधरें
शहर में नगर पालिका द्वारा वर्ष २०१०-११ में ३९७.६५ लाख रुपए की लागत से नवीन बाजार का निर्माण कराया गया और भी लाखों रुपए खर्चकर निर्माण कराए जा रहे हैं। करोड़ों खर्च के बाद आज भी सड़क पर ही सब्जी बाजार लग रहा है। सब्जी व्यापारी सड़क पर बैठे रहते हैं। लाखों में बाजार की नीलामी की जाती है। इससे ठेकेदार व्यपारियों से बराबर टैक्स वसूलता है। नीलामी की राशि से कई गुना अधिक लाभ कमाता है, लेकिन व्यापारियों को रत्तीभर की सुविधा नहीं मिलती। मिलता है तो सिर्फ कुछ फीट सड़क पर बाजार लगाने की जगह।
मनोरंजन के साधन भी चाहिए
नगर में लोगों के मनोरंजन के लिए केवल पार्क ही है। पार्क हैं भी तो कबाड़ की तरह। इतने पार्क होने के बाद भी बच्चे व लोगों की भीड़ नदारद रहती है, क्योंकि पालिका की सुस्ती के कारण उद्यानों की देखरेख नहीं हो पाती। करोड़ों रुपए खर्च किए जा चुके हैं, लेकिन अब तक एक बेहतर चिडिय़ाघर स्थापित नहीं किया जा सका है। किसी पार्क में इसकी योजना बनाई जा सकती है। जहां पर लोगों को बैठने, घूमने-फिरने और मनोरंजन के साथ-साथ पर्याप्त सुविधाएं भी मिल सके।
व्यवस्थित चौपाटी चाहिए
नगर के मुख्य मार्ग के दोनों ओर फास्टफूड की दुकानें लगती है, क्योंकि नगर में चौपाटी के लिए स्थान ही नहीं है। नगर पालिका द्वारा आजतक नगरवासियों के लिए एक निश्चित स्थान ढूंढकर चौपाटी तैयार नहीं की जा सकी है। चौपाटी नहीं होने के कारण शिवाजी चौक और रानी झांसी बालोद्यान के आसपास चाट, गुपचुप, इडली, डोसा, वड़ा, चाउमिन, पकौड़ा, रोल आदि की दुकानें सजती है। इसके लिए यहां पर न पर्याप्त जगह है और न ही पार्किंग की उचित व्यवस्था।
चाहिए एक और गैस एजेंसी
आज भी कई दशक पुराने एक ही गैस एजेंसी से काम चलाया जा रहा है। १४ हजार से अधिक उपभोक्ताओं के लिए एकमात्र गैस एजेंसी है। एक ही गैस एजेंसी होने के कारण उपभोक्ताओं को समय पर सिलेण्डर न मिलना सहित कई प्रकार की समस्या से रूबरू होना पड़़ता है। इसके लिए कम से कम एक और अन्य कंपनी के गैस एजेंसी की आवश्यकता है। इससे उपभोक्ताओं को होने वाली परेशानियों से छुटकारा मिल जाएगा।
सड़के भी सुधारें
पिछले सात वर्षों में नगर के बीटी सड़क और सीसी रोड़ निर्माण के नाम पर लगभग ९०० लाख रुपए खर्च किए जा चुके हैं। बेशक लोगों को आवागमन के लिए रास्ता मिला, लेकिन निर्माण भी गुणवत्ताहीन कराए गए, जिसकी परतें बारिश के बाद से ही उखडऩे लगी हंै। सीसी रोड की हालत तो ठीक कही जा सकती है, लेकिन बीटी सड़क पर केवल रुपए खर्च किए गए, गुणवत्ता पर ध्यान ही नहीं दिया गया। आज की स्थिति में सड़के बदहाल हो चुकी है।
सफाई व्यवस्था
नगर की सबसे बड़ी और प्रमुख समस्या है सफाई व्यवस्था। नगर में सफाई व्यवस्था पर सालाना लगभग करोड़ों रुपए से अधिक खर्च किया जाता है। इसके बाद भी वार्ड में कचरा और गंदगी ही देखने को मिलता है। सफाई होती भी है तो मुख्य मार्गों की न की बस्तियों में। कई वार्ड तो ऐसे है, जहां पर माहभर से सफाई नहीं कराई जा सकी है। सफाई के लिए लाखों खर्च सामग्रियों की खरीदी भी गई, लेकिन स्थिति जस की तस है।

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