सहायक नेत्र अधिकारी को दो आरक्षकों की मेडिकल जांच में कलर ब्लाइंड मिले था। जिस पर आपत्ति जताते हुए प्रमाण पत्र रोक दिया गया था। वहीं मामले की जानकारी सिविल सर्जन को दिया गया। उसके बाद आरक्षकों को अन्य जिले के अस्पताल रेफर किया जाता, लेकिन न तो आरक्षक आए और न ही अस्पताल बोर्ड की तरफ से कुछ कहा गया।
नेत्र सहायक का फर्जी हस्ताक्षर कर नेत्र विभाग की तरफ से नॉर्मल होने का मेडिकल जारी कर दिया गया और दोनों की नौकरी भी लग गई। हाल ही में इसकी जानकारी नेत्र सहायक मनीष जॉय को हुई तो उन्होंने मामले की शिकायत एसपी से की है। पुलिस विभाग द्वारा शिकायत की जांच की जा रही है।
एसपी शलभ कुमार सिन्हा ने बताया कि हाल ही में कवर्धा में आरक्षकों की भर्ती हुई थी। चयन होने के बाद मेडिकल प्रमाण पत्र मेडिकल बोर्ड द्वारा बनाया जाता है। जो मेडिकल प्रमाण-पत्र जमा किया गया है, वो गलत तरीके से बनाने की शिकायत मिली है। तो विभाग की तरफ से फिर से मेडिकल जांच के लिए भेजा जाएगा, जो रिपोर्ट आएगी उसके आधार पर निर्णय लेंगे।