कवर्धा

आबादी और वाहनों की संख्या के अनुरूप विकसित नहीं चौराहे

नगर के चौक-चौराहे सिर्फ नाम के रह गए हैं। अव्यवस्थित चौराहे और ट्रैफिक के चलते गली सा नजारा रहता है। यातायात पर दबाव होने के कारण दुर्घटना की आशंका बनी रहती है।

कवर्धाMar 28, 2019 / 11:33 am

Panch Chandravanshi

Not developed crossroads

कवर्धा. शहर की बढ़ती आबादी और वाहनों की संख्या के अनुरूप चौक-चौराहों के विकसित नहीं किया जा रहा है। इसके चलते लोगों को आवागमन के लिए मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। भारी वाहनों का शहर से गुजरने के कारण हमेशा हादसों की आशंका बनी रहती है। बावजूद इसके प्रशासन कोई ध्यान नहीं दे रही है।
नगर के चौक-चौराहे सिर्फ नाम के रह गए हैं। अव्यवस्थित चौराहे और ट्रैफिक के चलते गली सा नजारा रहता है। यातायात पर दबाव होने के कारण दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। ठाकुरदेव चौक हो या फिर ऋषभदेव चौक, आजाद चौक हो या फिर अंबेडकर चौक, मिनीमाता चौक हो या फिर करपात्री चौक हर जगह दुर्घटनाओं का खतरा है। विगत कुछ वर्षों से शहर की आबादी और वाहनों की संख्या में इजाफा हुआ है। इससे यातायात पर दबाव काफी बढ़ा है। इसके अनुरूप चौक-चौराहों को विकसित नहीं किया जा सका है। इस पर जब प्रमुख चौक पर वाहनों के साथ ही मवेशियों का जमावड़ा लगा रहना। चौराहों पर ट्रैफिक सिग्नल नहीं होने के कारण कोई भी वाहन चालक किसी भी रास्ते पर फर्राटे भरता है। इससे सड़क हादसे होते हैं। वहीं अधिकांश चौराहों पर सब्जी दुकानें, पान ठेले, गुपचुप व चाट बेचने वाली दुकानें अव्यवस्थित तरीके से लगाई जाती है। इन दुकानों में पहुंचने वाले लोग भी सड़क पर वाहन खड़े कर देते हैं, जिससे परेशानी बढ़ जाती है।
सड़कों पर मवेशीराज
शहर की सड़कों पर आवारा मवेशियों का राज है। वीर स्तंभ चौक तो ऐसे मवेशियों का ठिकाना बन गया है। चौक के आसपास खाने-पीने के सामान के ठेले होने के कारण यहां मवेशियों का जमावड़ा रहता है। जनपद मार्ग पर बने डिवाइडर और शिवसेना चौक के आसपास बैठकर ये मवेशी आराम फरमाते हैं। मवेशियों को बचाने के फेर में अक्सर सड़क हादसे होते हैं।
सिग्नल भी नहीं
नगर में यातायात के दबाव को नियंत्रित करने के लिए केवल एक ही चौक पर सिग्नल लगा है, लेकिन बाकी के चौक-चौराहे पर अब तक सिग्नल नहीं लग पाया है। टै्रफिक पुलिस के लिए चौराहों पर स्टैंड तो बना दिया गया है, लेकिन सिग्नल लाइटें नहीं लगाई जा सकी है। सिग्नल नहीं होने के कारण भी कई बार राहगीरों को चौक पर चलने में असुविधा का सामना करना पड़ता है। वहीं वाहन चालक अपनी मनमर्जी से गाडिय़ां चलाते हैं। बावजूद इसके नगर पालिका और यातायात विभाग ने आज पर्यंत इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया।
व्यवसायी भी जिम्मेदार
सड़क किनारे दुकान लगाने वाले व्यवसायी भी काफी हद तक इसके लिए जिम्मेदार हैं। वे न सिर्फ सड़क के किनारे बेजा कब्जा करते हैं बल्कि दुकान के सामने सामानों को नुमाइश के रखकर सड़क की चौड़ाई को आधी कर देते हैं। इससे राह चलते लोगों की परेशानी बढ़ जाती है। वहीं शिवसेना चौक पर बने चबूतरे के इर्द-गिर्द पार्किंग कर दुर्घटनाओं को खुला आमंत्रण दे रहे हैं।

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