तहसील सह सचिव संतोष साहू से चर्चा दौरान यह सब बातें सामने आई, जिसमें सबसे बड़ी बात मृत्यु हो जाने पर कफन पर कपड़े के बदले श्रद्धांजलि स्वरूप स्वेच्छा दान राशि दिया जाए। साथ ही मृत्यु भोज पर तरह-तरह पकवान पर प्रतिबंध लगा दिए हैं। अब केवल स्वात्विक भोजन दाल चावल व सब्जी सहित पारंपरिक कलेवा पुड़ी व बड़ा ही परौसी जाएगी। अगर यह फरमान धरातल पर चलेगी तो निश्चित यह पहल सामाजिक सरोकार की नई पहल होगी। लोग इस फरमान से तरह तरह की पहेली बुझा रहे हैं। गांव में चर्चा का विषय बना हुआ है।
शादी-ब्याह जैसे पावन अवसर पर अक्सर डीजे के धुन पर बरात पर सजधज से दुल्हा घर से निकला करती है, जिससे बराती झुमते हुए चलते हैं। अब सामाजिक बंधन से इसमें पूर्ण लगाम रखा है। साथ ही शादी मंडप पर दी जाने वाली सुवासिन नेग अब वर पक्ष देगा। इसी तरह विवाह संपन्न कराने वाले महराज व नाई का दान दक्षिणा की रकम फिक्स कर दिया है। इस पर जानकारों की मानें तो इस पर पाबंदी के पिछे फिजुल खर्ची पर अंकुश लगाना है।
जिला कार्यकारिणी की बैठक में बनाई गई रणनीति में नौ कालम को रखा गया है। नौ श्रेणी से सूचना तैयार कर समाज के लोगों को इसकी जानकारी दी जा रही है। इस पर अमल करने के लिए निगरानी समिति बनाई गई है। प्रत्येक मंडल, तहसील पदाधिकारी व सदस्य कोजिम्मेदारी सौंपी गई है, जो इन पर पैनी नजर रखेंगे। ताकि कोई नियमों का उलंधन न करे। प्रतिबंध के बाद भी यदि कोई नियमों का उलंघन करते पाए गए तो समाज नियमानुसार कार्रवाई करेंगे।