घनी आबादी में लगे इन टॉवरों से रेडिएशन फैल रहा है। ज्यादा नेटवर्क देने के नाम पर 0.5 मेगाहस्ट रेडिएशन से ज्यादा बढ़ा दिए हैं, जिससे कई तरह के हानिकारक प्रभाव सामने आ रहे हैं। टॉवर से रोजाना हजारों इलेक्ट्रो मैगनेटिक रेडिएशन निकलता है। ये रेडिएशन न दिखने वाली तरंगे होती हैं, जो लोगों को मानसिक व शारीरिक रूप से कमजोर बना रहे हैं।
हो चुका है हादसा
वैसे भी शहर में मोबाइल टॉवर गिरने की घटना घट चुकी है। अप्रैल 2015 में आंधी-तूफान के कारण लोहारा नाका स्थित निजी भवन के छत पर लगाए गया मोबाइल टॉवर सड़क पर धड़ाम से गिर गया था। हालांकि इससे जानमाल की कोई हानि नहीं हुई थी। इससे सबक लेने के बजाए और अधिक लापरवाही बरती जा रही है।
सरकारी भवन पर भी
कमाई के फेर में न सिर्फ निजी मकान मालिक बल्कि सरकारी भवन भी पीछे नहीं है। कवर्धा जनपद पंचायत भवन और नगर पालिका भारतमाता शॉपिंग काम्प्लेक्स की छत पर एक मोबाइल टॉवर लगाया गया है। जनपद पंचायत भवन के छत पर मोबाइल टॉवर लगाने से पहले तात्कालीन कार्यकाल में जनपद सदस्यों से राय भी नहीं ली गई थी।