कवर्धा

सूखने लगे तालाब, हैण्डपंपों की धार पतली, कैसे होगी जलापूर्ति

गर्मी की शुरुआत में ही छत्तीसगढ़ के तालाब सूखने लगे है, ऐसे में राज्य में निस्तारी की समस्या बढ़ेगी

कवर्धाMar 12, 2018 / 01:31 pm

Deepak Sahu

कवर्धा. क्षेत्र में अल्प वर्षा के कारण नगर सहित नगर के आसपास के कई गांवों के तालाब अभी से सूखने लगे हैं। वहीं जल स्तर घटने से कई गांवों में पंप से पानी भी कम निकल रहा है। जिन तालाबों में पानी है, वह दुषित हो गया है। कुल मिलाकर गांवों में निस्तारी की समस्या बढऩे लगी है।
इस साल कम वर्षा होने का असर क्षेत्र के गांवों में दिखने लगा है। ग्राम पंचायत सिंघनपुरी के दो में से एक तालाब सूख चुके हैं। वहीं आश्रित गांव के तालाब के प्रमुख तालाब सूखने के कगार पर है। दोनों आश्रित ग्राम के तालाब में पानी कम होने के कारण निस्तारी की समस्या खड़ी हो गई है। पानी इतना खराब हो चुका है कि जानवारों के उपयोग के लायक भी नहीं है। गांव के 80 प्रतिशत जनसंख्या आज भी तालाब के पानी से अपना निस्तारी करते हैं। जल्द इस ओर ध्यान नहीं दिया तो समस्या और गंभीर हो सकती है। लेकिन इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

ट्युबबेल खनन की मांग
पानी की समस्या को देखते हुए ग्रामीणों ने तालाब किनारे ट्यूबवेल खनन की मांग कर रहे हैं, लेकिन इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। गार्मियों के दिन में सूखे से निपटने के लिए ट्युबवेल खनन आवश्यक है। इससे तालाब में हमेशा पानी भरा रहता। लेकिन अब तक न तो बोर खनन हो पाया और न ही निस्तारी के लिए तालाब में पानी भरा जा सका। इस ओर ग्राम पंचायत प्रतिनिधियों को ध्यान देने की आवश्यकता है। ताकि ग्रामीणों को पर्याप्त मात्रा में पानी मिल सके।

मवेशियों को हो रही दिक्कत
गांव के तालाब सूख जाने से जानवरों के लिए अधिक समस्यां उत्पन्न हो गई है। इंसान तो किसी तरह से हैण्डपंप या अन्य निजी साधनों से आपना काम निकाल लेता है, लेकिन सबसे बड़ी समस्या मवेशियों के लिए पानी की व्यवस्था करने में हो रही है। गर्मी के दिनों में मवेशियों को धोने व पीलने की समस्या हो रही है। गर्मी अधिक होने के कारण दो से चार घंटों तक जानवर तालाब में ही डुबा रहता है, तब जाकर उनकी गर्मी शांत होती, लेकिन तालाब सूख जाने के कारण परेशानी हो रही है।

समूहों को आर्थिक क्षति
तालाब सूख जाने के कारण मछली पालन पर भी बुरा असर पड़ रहा है। मछली पालन के लिए तालाब को ठेका पा लेकर समुहो द्वारा बड़ी मात्रा में मछली पालन करते हैं। लेकिन तालाब सूख जाने के कारण समूहों को आर्थिक क्षति झेलना पड़ रहा है। कुछ तालाबों थोड़ा पानी बचा हुआ है। वह भी पूरी तरह दुषित हो जाने के कारण मछली मर रही है। इसके चलते समूह के सामने समस्या खड़ी हो गई है। जबकि वे इसी से अपना घर परिवार चलाते हैं। लेकिन अब तालाब में पानी नहीं तो कैसे होगा।

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