जिस तरह किसान फसलों को मवेशी के हवाले कर रहे हैं इससे तय है कि एक बार फिर जिला सूखे की चपेट में है। अब तो किसान सरकार से क्षतिपूर्ति के लिए मुआवजे की मांग कर रहे हैं। कर्ज माफ के साथ गांव-गांव राहत कार्य कराए जाने की आवश्यकता है। नहीं तो किसान परिवार के भरण पोषण के लिए पलायन करने मजबूर होंगे। दो साल के सूखे ने किसानों की कमर पूरी तरह तोड़ दिया है।
इधर क्षेत्र में बिजली का भी रोना है। बिजली की आंख मिचौली ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। मोटर पंप होते हुए भी फसलों की सिंचाई नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में किसान चिंता डूब गए हैं। मानसून के शुरूआती दौर में हुई बारिश से किसान ने अच्छी फसल की उम्मीद लगा रहे थे, लेकिन अब बारिश के अभाव में फसल खराब हो रहा है।
पानी के अभाव में धान की फसल खराब हो गई है। अब तो किसान बारिश के आस ही छोड़ दिए हैं। अगर बारिश होते भी है तो फसलों की स्थिति ऐसी है कि उत्पादन नहीं के बराबर होगी। इसके चलते फसल को मवेशी के हवाले कर दिया है। वहीं साधन संपन्न किसान मोटर पंप से सिंचाई कर फसलों को बचाए रखा है।