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कवर्धा

सुबह से ही देवी दर्शन के लिए उमड़ पड़े श्रद्धालु वेदमंत्रों के साथ श्रद्धालुओं ने दी पूर्णाहुति

नगर के देवी मंदिरों में आस्था की घंटियां शनिवार की भोर सुबह से ही सुनाई देने लगी। महाष्टमी पर श्रद्धालु सुबह से मंदिरों में पहुंचने लगे। भीड़ इतनी अधिक थी कि संभाल पाना मुश्किल था।

कवर्धाApr 14, 2019 / 11:21 am

Panch Chandravanshi

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कवर्धा. नगर के सभी देवी मंदिरों में वेदमंत्रों के उच्चरण के साथ ही महाष्टमी की पूर्णाहुति दी गई। सुबह से हवन व महाआरती समाप्ति तक मंदिरों में श्रद्धालुओं की बेतहाशा भीड़ रही। बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने वेदमंत्रों के साथ अग्निकुण्ड में पूर्णाहुति दिए और महाआरती में शामिल हुए।
नगर के देवी मंदिरों में आस्था की घंटियां शनिवार की भोर सुबह से ही सुनाई देने लगी। महाष्टमी पर श्रद्धालु सुबह से मंदिरों में पहुंचने लगे। भीड़ इतनी अधिक थी कि संभाल पाना मुश्किल था। यह स्थिति लगभग सभी मंदिरों की थी। हवन के पूर्व ही मंदिरों में देवी दर्शन के लिए श्रद्धालुओं को काफी मशक्कत करनी पड़ी। सुबह ११.३० बजे के बाद नगर के सभी देवी मंदिरों में हवन-पूजन प्रारंभ हुआ। मंदिरों में मुख्य देवी पूजा के बाद हवन प्रारंभ हुआ। पुजारी के मंत्रोच्चारण का आव्हान करते रहे और श्रद्धालु अग्निकुंड में आहुति देते गए। भीड़ अधिक होने के कारण जो श्रद्धालु हवन में आहुति देने से वंचित रह गए थे, वे भीड़ कम होने के बाद सांखला डालकर आहुति दिए।
नगर के सभी देवी मंदिरों में मेले जैसा माहौल
वैसे तो पुरे नौ दिनों तक श्रद्धालु बड़ी संख्या में दर्शन के लिए पहुंचते रहे थे, लेकिन पंचमी व अष्टमी को भक्तों का पूरा सैलाब उमड़ पड़ा। आसपास के पूरे क्षेत्र के लोग यहां हजारों की संख्या में दर्शन लाभ व मनोकामना पूर्ति के मंदिर पहुंचते रहे। शनिवार को अष्टमी के दिन पूरे मंदिर परिसर में मेले जैसा दृश्य देखने को मिला। नगर के मां महामाया मंदिर, मां विंध्यवासिनी मंदिर, राजराजेश्वरी मां काली मंदिर, मां चण्डी मंदिर, मां परमेश्वरी मंदिर, मां शीतला मंदिर, मां सतबहनिया मंदिर में सुबह ११ बजे के बाद ही हवन प्रारंभ हुए। सभी मंदिरों में वेदमंत्रों के साथ हजारों श्रद्धालुओं ने एक साथ पूर्णाहुति दिए। हवन के बाद श्रद्धालुओं ने महाआरती में हिस्सा लिया।
कन्या भोज के साथ महाप्रसादी वितरित
महाष्टमी पर सभी देवी मंदिरों में देवी के रूप में कन्याओं को भोजन कराया गया। इसके बाद महाप्रसादी का वितरण किया गया। सभी देवी मंदिरों में कन्या भोजन के लिए अलग से व्यवस्था की गई। कन्याओं के पैरों पर अलता लगाकर चुनरी पहनाई गई। आरती उतारकर उनसे आशीर्वाद भी लिया गया। मंदिरों में २१ से लेकर सैकड़ों कन्याओं को भोजन कराया और श्रृंगार सामान भेंट किए गए।

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