वैसे तो पुरे नौ दिनों तक श्रद्धालु बड़ी संख्या में दर्शन के लिए पहुंचते रहे थे, लेकिन पंचमी व अष्टमी को भक्तों का पूरा सैलाब उमड़ पड़ा। आसपास के पूरे क्षेत्र के लोग यहां हजारों की संख्या में दर्शन लाभ व मनोकामना पूर्ति के मंदिर पहुंचते रहे। शनिवार को अष्टमी के दिन पूरे मंदिर परिसर में मेले जैसा दृश्य देखने को मिला। नगर के मां महामाया मंदिर, मां विंध्यवासिनी मंदिर, राजराजेश्वरी मां काली मंदिर, मां चण्डी मंदिर, मां परमेश्वरी मंदिर, मां शीतला मंदिर, मां सतबहनिया मंदिर में सुबह ११ बजे के बाद ही हवन प्रारंभ हुए। सभी मंदिरों में वेदमंत्रों के साथ हजारों श्रद्धालुओं ने एक साथ पूर्णाहुति दिए। हवन के बाद श्रद्धालुओं ने महाआरती में हिस्सा लिया।
महाष्टमी पर सभी देवी मंदिरों में देवी के रूप में कन्याओं को भोजन कराया गया। इसके बाद महाप्रसादी का वितरण किया गया। सभी देवी मंदिरों में कन्या भोजन के लिए अलग से व्यवस्था की गई। कन्याओं के पैरों पर अलता लगाकर चुनरी पहनाई गई। आरती उतारकर उनसे आशीर्वाद भी लिया गया। मंदिरों में २१ से लेकर सैकड़ों कन्याओं को भोजन कराया और श्रृंगार सामान भेंट किए गए।