कवर्धा

कुएं को बनाया डाला कूड़ेदान, गिरते भू-जल स्तर बना रहा कारण

प्राचीन समय में जल स्रोतों की प्रमुख माध्यम कुंए से ही गांव में पेयजल की आपूर्ति की जाती थी, जो समय के साथ-साथ उपेक्षा के कारण कई कुंए तो जर्जर हो गए हैं, तो कई जमीजोद होने की स्थिति में पहुंच गए हैं।

कवर्धाApr 04, 2019 / 11:25 am

Panch Chandravanshi

Well made waste

इंदौरी. हर मौसम में लोगों की प्यास बुझाने वाली कुओं पर आज संकट के बादल छाए हुए हैं, जिन कुओं के ऊपर लगी लोहे की घिरनी से गडग़ड़ाहट आवाज और पानी निकालने के लिए बनी बाल्टी-रस्सी की डोली गिरने की ध्वनि पूरे दिन सुनाई देती थी। वहां आज विरानी छाई हुई है।
प्राचीन समय में जल स्रोतों की प्रमुख माध्यम कुंए से ही गांव में पेयजल की आपूर्ति की जाती थी, जो समय के साथ-साथ उपेक्षा के कारण कई कुंए तो जर्जर हो गए हैं, तो कई जमीजोद होने की स्थिति में पहुंच गए हैं। जिले के ग्रामीण क्षेत्र की प्रत्येक गांव में पहले सार्वजनिक कुएं मौजूद थे। इन कुओं पर सुबह-शाम पनिहारिनों की जमघट लगती थी। अब घरों तक नल कनेक्शन पहुंचने से कुंओं पर वीरानी सी छा गई है। शाय़द यही वजह है कि अब कुंए से दुरी बढ़ती जा रही है। इसी कारण कुओं की साफ सफाई तक नहीं की जा रही है। कई जगह लोग इस प्राचीन जल स्रोत कुएं को लगातार पाटते जा रहे हैं। ऐसा भी नहीं है कि प्रशासन स्तर से इसकी उपेक्षा की गई हो। इसके लिए बकायदा मनरेगा तहत योजना से सिंचाई कूप निर्माण करने के लिए प्राशासकिय राशि से लोगों को कुएं निर्माण करने के लिए बढ़ावा दे रहा है। पिछले साल सहसपुर लोहारा विकासखंड में योजना तहत करीब 50 कूप निर्माण कराया गया है।
कुआं को बना दिया कचरा पात्र
पहले हर गांव में दर्जनों सार्वजनिक व निजी कुएं रहते थे, जिससे ग्रामीणों की प्यास बुझती थी। समय समय पर कुएं की साफ सफाई का जिम्मा ग्रामीण बखुबी निभाते थे। सुरक्षा के लिहाज से घेराबंदी भी करते थे, लेकिन अब कुओं की उपयोगिता कम होने के कारण ग्रामीणों ने इनकी तरफ देखना तक बंद कर दिया है। कई ग्रामीणों ने तो कुएं को कचरा पात्र बना दिया है। संरक्षण के अभाव में कई कुआं की दीवारों में दरारें तक आ गई है वहीं कई कुएं मलबे से पूरी तरह से दब गए हैं।
कुएं निर्माण में यह भी रोड़ा
लगातार गिरते भू-जल स्तर भी कुंआ निर्माण के लिए रोड़ा साबित हो रहा है। जबकि मनरेगा के तहत प्रशासनिक स्तर से सिंचाई कूप निर्माण के लिए अब 2.48 लाख रुपए राशि है, जो पिछले साल से राशि बढ़ी है, जिसमें समाग्री के लिए 1.79 लाख रुपए व 69 हजार मजदुरी के लिए है। इसके बाद भी लोगों का यही तर्क है कि भू-जल स्तर गिरने के चलते कुएं खुदाई में पानी आना मुश्किल है। हालांकि बारिश के समय ही कुएं में भरपूर पानी की कयास लगाया जा रहा है।

Home / Kawardha / कुएं को बनाया डाला कूड़ेदान, गिरते भू-जल स्तर बना रहा कारण

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.