शासकीय भूमि पर अतिक्रमणकरियों का कब्जा, गौठान के लिए भी जगह नहीं बची
शासकीय जमीन पर हो रहे अतिक्रमण के चलते गांवों का विकास बाधित हो गया है। अतिक्रमणकारियों के हौसले इतने बुलंद हैं कि वे बेरोकटोक खाली मैदान से लेकर तालाब, स्कूल परिसर, श्मशान घाट, गौचर जमीन पर भी कब्जा कर रहे हैं। दिन-ब-दिन बढ़ रहे अतिक्रमण के चलते लोगों का चलना दूभर होता जा रहा है।
कवर्धा
Published: April 26, 2022 11:32:00 am
कवर्धा. शासकीय जमीन पर हो रहे अतिक्रमण के चलते गांवों का विकास बाधित हो गया है। अतिक्रमणकारियों के हौसले इतने बुलंद हैं कि वे बेरोकटोक खाली मैदान से लेकर तालाब, स्कूल परिसर, श्मशान घाट, गौचर जमीन पर भी कब्जा कर रहे हैं। दिन-ब-दिन बढ़ रहे अतिक्रमण के चलते लोगों का चलना दूभर होता जा रहा है। लोगों को मूलभूत सुविधाओं से भी वंचित होना पड़ रहा है।
गांव की तस्वीर व तकदीर बदलने पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा विकास कार्यों को गति प्रदान करने का प्रयास किया जाता है, लेकिन शासकीय जमीन पर अतिक्रमण होने से विभिन्न विकास कार्य बाधित हो रहे हैं। पंचायत प्रतिनिधियों के शिकायत के बावजूद अधिकारियों द्वारा अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं किए जाने से उनके हौसले बुलंद हो गए हैं। गांवों के अन्य लोग भी इन अतिक्रमणकारियों के गलत कार्यों का अनुकरण करने लगे हैं। अतिक्रमण हर गांव के लिए विकराल समस्या बन गई है। शासन-प्रशासन के उदासीन रवैए के चलते हर गांव में लगभग 50-60 प्रतिशत लोग अतिक्रमण कर शासकीय जमीन को हड़प चुके हैं। ऐसे लोगों को गांव के विकास से कोई सरोकार नहीं है। अतिक्रमण को रोकने गांव स्तर पर किए जा रहे प्रयास भी महज इसलिए सफल नहीं हो पा रहे हैं क्योंंकि अतिक्रमणकारियों की तादात गांव में ज्यादा हैं। कई पंचायतों में जनप्रतिनिधि खुद इस कार्य में संलिप्त रहते हैं, जिस कारण अतिक्रमण के मामले में चुप्पी साध लेते हैं। जिले के अधिकांश गांव में अतिक्रमणकारियों की फौज है। एक की देखादेखी दूसरे, तीसरे के कारण गांव में न तो चारागाह बच पाया है न ही खेल मैदान बचा है। इसके चलते मुश्किले बढ़ती जा रही है।
स्कूल परिसर में भी कब्जा
बोड़ला तहसील अंतर्गत ग्राम पंचायत हरिनछपरा में शासकीय मीडिल के बाहरी हिस्से का जगह अतिक्रमण के चपेट में है। जिसको हटवाने के लिए पंचायत द्वारा तहसीलदार को शिकायत बाद भी जिम्मेदार ध्यान नहीं दे रहा है। जबकि अतिक्रमण के चलते गांव में तनाव व विवाद की स्थिति निर्मित हो रहे हैं। पटवारी हल्का नं. २९ अंतर्गत ग्राम पंचायत हरिनछपरा में शासकीय मीडिल स्कूल के पास वाले भूमि खसरा नं. १७०/१ के लगभग 3 एकड़ 22 डिसमिल जमीन को अतिक्रमण कर लिया है। इतना ही नहीं, शासकीय भूमि को दूसरे व्यक्ति के पास बेजा जा रहा है। उक्त शासकीय भूमि से अतिक्रमण हटाने के लिए ग्राम पंचायत हरिनछपरा द्वारा तीन बार नोटिस दिया जा चुका है। ग्राम पंचायत द्वारा तीसरा नोटिस १७ फरवरी २०२२ को दिया था। इसके बाद भी अतिक्रमण नहीं छोड़ रहे हैं।
घर में बांधकर रख रहे मवेशी
विकासखंड बोडला के अंतर्गत ग्राम पंचायत राम्हेपुर के आश्रित ग्राम चंडालपुर में अतिक्रमण के चलते गौठान के लिए भी खाली जगह नहीं बची है। ऐसे में ग्रामीणों ने अपने मवेशियों को सड़क किनारे और घर की प्रांगण में बांध कर रख रहे हैं। मवेशी 24 घंटे घर के बाहर बंधे रहते हैं। गांव में चरी बंजर भी अतिक्रमणकारियों के कब्जे में हैं, जिनके कारण ग्रामीणों को गौठान भी नसीब नहीं हो रहा है। ऐसे में मवेशी मालिक भी परेशान है। चंडालपुर में गौठान निर्माण के लिए जिम्मेदारों को पहल करने की जरुरत है। वहीं ग्रामीणों को शासन-प्रशासन का सहयोग करना होगा।
अधिनियम में यह है प्रावधान
पंचायत राज अधिनियम में प्रावधान है कि पंचायत में प्रस्ताव कर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की जा सकती है। छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम 1993 के तहत गांव की सार्वजनिक भूमि का प्रबंधन व उसमें अतिक्रमण रोकने का दायित्व ग्राम पंचायत को दिया गया है। ग्राम पंचायत को अतिक्रमण को हटाने की शक्तियां पंचायत राज अधिनियम 1993 की धारा 56 के तहत दी गई है। पंचायत के प्रस्ताव और समझाइश के बाद भी अतिक्रमणकारी द्वारा कब्जा न हटाने पर राजस्व विभाग के अधिकारी से शिकायत कर आगे की प्रक्रिया की जाती है।
समक्ष अधिकारी को सूचना दे
पंचायत में प्रस्ताव पारित कर सक्षम अधिकारी को सूचना के बाद शासकीय जमीन पर अतिक्रमण हटवाने की कार्रवाई की जा सकती है। यदि गांव के लोगों द्वारा शिकायत की जाती है तो अतिक्रमणकारी के संबंध में पटवारी को निर्देशित कर जांच कराई जाती है। पटवारी के जांच प्रतिवेदन के आधार पर तहसीलदार द्वारा नोटिस भेजकर अतिक्रमण हटाने के लिए समय दिया जाता है। इसके बाद भी कब्जा न छोडऩे पर सक्षम अधिकारी द्वारा अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की जाती है।

शासकीय भूमि पर अतिक्रमणकरियों का कब्जा, गौठान के लिए भी जगह नहीं बची
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