कवर्धा

18 साल बाद भी प्राथमिक शाला के बच्चों को भवन नसीब नहीं, बेपरवाह विभाग

प्राथमिक शाला की जर्जर स्थिति को देखते हुए वर्ष 2001-02 में भवन को डिस्मेंटल कर दिया गया। ऐसे में छात्र-छात्राओं की कक्षा अतिरिक्त कक्ष व सहेली शाला में संचालित है। अतिरिक्त कक्ष भी पूरी तरह जर्जर व बदहाल हो चुका है। 18 बरस बीत जाने के बाद भी छात्र-छात्राओं को भवन नसीब नहीं हो पाई है।

कवर्धाJan 09, 2019 / 01:24 pm

Panch Chandravanshi

Even after 18 years, children are not fortunate enough

कवर्धा. जिले में एक स्कूल ऐसा भी है, जहां के छात्र-छात्राओं को 18 साल बीत जाने के बाद भी भवन नसीब नहीं हो सकता है। ऐसे में काफी पुराने व जर्जर अतिरिक्त कक्ष व सहेली शाला में पाठशाला चल रही है। जर्जर भवन के छज्जे टूटकर गिरने को आतुर हैं। मौत के इस भवन में शिक्षा का चिराग जलाया जा रहा है। यहां पढऩे वाले ९० से अधिक छात्र-छात्राओं की जान संकट में है। बावजूद इसके सरकारी नुमाइंदे इस जर्जर भवन की रिपेयरिंग कराने मुहूर्त देख रहे हैं।
कवर्धा विकासखंड के ग्राम सोनबरसा के प्राथमिक शाला की जर्जर स्थिति को देखते हुए वर्ष 2001-02 में भवन को डिस्मेंटल कर दिया गया। ऐसे में छात्र-छात्राओं की कक्षा अतिरिक्त कक्ष व सहेली शाला में संचालित है। अतिरिक्त कक्ष भी पूरी तरह जर्जर व बदहाल हो चुका है। 18 बरस बीत जाने के बाद भी छात्र-छात्राओं को भवन नसीब नहीं हो पाई है। स्कूल में 150 से अधिक छात्र-छात्राएं नामांकित हैं, जो सरकारी लापरवाही का दंश झेलने को मजबूर हैं। दसअसल सभी छात्र-छात्राएं ऐसे स्कूल की छत के नीचे बैठकर पढ़ाई कर रहे हैं, जो बेहद जर्जर और कमजोर हो चुकी है। भवन की छत से प्लास्टर झरकर नीचे गिरते जा रहे हैं। वहीं इसका छज्जा भी टूटकर अलग हो चुका है। केवल जंग लगी सरिया के बलबूते छज्जा टिका हुआ है, जो कभी भी जवाब दे सकती है। यहां अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं है कि उनके ऊपर मौत मंडरा रही है। इसके बावजूद सरकारी नुमाइंदे इसी जर्जर भवन में बच्चों को अच्छी तालीम देने का दावा कर रहे हैं। विभागीय अधिकारियों को इस बात को भलि तरह से जानते हैं कि भवन कंडम हो चुका है। बावजूद इसके वे जान-बूझकर नौनिहालों की जान खतरे में डाल रहे हैं। नए भवन की स्वीकृति व जर्जर हो चुके भवन के मरम्मत के बार-बार आवेदन किया जा चुका है। इसके बाद भी जिम्मेदार इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। शायद विभाग को किसी घटना का इंतेजार है।
एक कमरे में तीन कक्षा की पढ़ाई
प्राथमिक स्कूल में पहली से तीसरी तक सहेली शाला में संचालित हैं। वहीं मिडिल स्कूल के अतिरिक्त कक्ष में कक्षा चौथी और पांचवीं की कक्षाएं लग रही है। पहली से तीसरी कक्षाओं के सभी बच्चों की क्लास एक ही कमरे में लगती है। सभी छात्र-छात्राओं को एक साथ बैठाकर बारी-बारी से अध्ययन कराया जा रहा है। इसमें न केवल छात्र-छात्राओं को बल्कि शिक्षकों को भी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। भवन की रिपेयरिंग को लेकर विभागीय अधिकारियों को कई बार सूचित किया जा चुका है। बावजूद इसके सरकारी नुमाइंदे उन्हें अनसुना किए जा रहे हैं।
वर्षों बाद भी नहीं हुई रिपेयरिंग
ग्राम सोनबरसा स्थित प्राथमिक शाला के बच्चों को अब तक भवन नसीब नहीं हो पाया है। फिरहाल अतिरिक्त कक्ष व सहेली शाला जो काफी पुराना होने साथ ही पूरी तरह जर्जर हो चुका है। बावजूद एक भी बार भवन की रिपेयरिंग नहीं कराई जा सकी है। प्रतिवर्ष रिपेयरिंग के नाम पर केवल रंग-रोगन कर दिया जाता है। विभागीय लापरवाही के चलते ही भवन की दीवारें कमजोर पड़ गईं है। दीवारों से पपडिय़ां निकल गईं है और छत से प्लास्टर लगातार छरते जा रहा है। स्कूल में शिक्षकों को भी अनहोनी का अंदाजा है, लेकिन वे चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं।
जिम्मेदार बोले…
जिला शिक्षा अधिकारी सीएस धु्रव इस संबंध में कहा कि एक दो बार मैं खुद भवन का निरीक्षण कर चुका हूं। भवन काफी जर्जर हो चुका है। नए भवन की स्वीकृति के लिए 2018 में डीपीआई को आवेदन भेज दिया गया है, लेकिन अब तक इसकी स्वीकृति नहीं हो पाई है। डीपीआई को एक बार फिर रिमांईडर लेटर भेजा जाएगा। ताकि भवन की स्वीकृति जल्द ही हो सके। वहीं ग्राम पंचायत के सरपंच प्रतिनिधि दयालू भारती ने बताया कि प्राथमिक शाला सहेली शाला और अतिरिक्त कक्ष में संचालित हो रहा है। २००१-०२ में शाला भवन डिस्मेंटल किया था, लेकिन अब तक भवन नहीं बन पाया है। अतिरिक्त कक्ष व सहेली शाला भवन भी पूरी तरह जर्जर हो चुका है। नए भवन के लिए कई बार आवेदन भी दिया जा चुका है। इसके बाद भी स्वीकृति नहीं हुई है।

Home / Kawardha / 18 साल बाद भी प्राथमिक शाला के बच्चों को भवन नसीब नहीं, बेपरवाह विभाग

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.