एक कमरे में तीन कक्षा की पढ़ाई
प्राथमिक स्कूल में पहली से तीसरी तक सहेली शाला में संचालित हैं। वहीं मिडिल स्कूल के अतिरिक्त कक्ष में कक्षा चौथी और पांचवीं की कक्षाएं लग रही है। पहली से तीसरी कक्षाओं के सभी बच्चों की क्लास एक ही कमरे में लगती है। सभी छात्र-छात्राओं को एक साथ बैठाकर बारी-बारी से अध्ययन कराया जा रहा है। इसमें न केवल छात्र-छात्राओं को बल्कि शिक्षकों को भी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। भवन की रिपेयरिंग को लेकर विभागीय अधिकारियों को कई बार सूचित किया जा चुका है। बावजूद इसके सरकारी नुमाइंदे उन्हें अनसुना किए जा रहे हैं।
प्राथमिक स्कूल में पहली से तीसरी तक सहेली शाला में संचालित हैं। वहीं मिडिल स्कूल के अतिरिक्त कक्ष में कक्षा चौथी और पांचवीं की कक्षाएं लग रही है। पहली से तीसरी कक्षाओं के सभी बच्चों की क्लास एक ही कमरे में लगती है। सभी छात्र-छात्राओं को एक साथ बैठाकर बारी-बारी से अध्ययन कराया जा रहा है। इसमें न केवल छात्र-छात्राओं को बल्कि शिक्षकों को भी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। भवन की रिपेयरिंग को लेकर विभागीय अधिकारियों को कई बार सूचित किया जा चुका है। बावजूद इसके सरकारी नुमाइंदे उन्हें अनसुना किए जा रहे हैं।
वर्षों बाद भी नहीं हुई रिपेयरिंग
ग्राम सोनबरसा स्थित प्राथमिक शाला के बच्चों को अब तक भवन नसीब नहीं हो पाया है। फिरहाल अतिरिक्त कक्ष व सहेली शाला जो काफी पुराना होने साथ ही पूरी तरह जर्जर हो चुका है। बावजूद एक भी बार भवन की रिपेयरिंग नहीं कराई जा सकी है। प्रतिवर्ष रिपेयरिंग के नाम पर केवल रंग-रोगन कर दिया जाता है। विभागीय लापरवाही के चलते ही भवन की दीवारें कमजोर पड़ गईं है। दीवारों से पपडिय़ां निकल गईं है और छत से प्लास्टर लगातार छरते जा रहा है। स्कूल में शिक्षकों को भी अनहोनी का अंदाजा है, लेकिन वे चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं।
ग्राम सोनबरसा स्थित प्राथमिक शाला के बच्चों को अब तक भवन नसीब नहीं हो पाया है। फिरहाल अतिरिक्त कक्ष व सहेली शाला जो काफी पुराना होने साथ ही पूरी तरह जर्जर हो चुका है। बावजूद एक भी बार भवन की रिपेयरिंग नहीं कराई जा सकी है। प्रतिवर्ष रिपेयरिंग के नाम पर केवल रंग-रोगन कर दिया जाता है। विभागीय लापरवाही के चलते ही भवन की दीवारें कमजोर पड़ गईं है। दीवारों से पपडिय़ां निकल गईं है और छत से प्लास्टर लगातार छरते जा रहा है। स्कूल में शिक्षकों को भी अनहोनी का अंदाजा है, लेकिन वे चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं।
जिम्मेदार बोले…
जिला शिक्षा अधिकारी सीएस धु्रव इस संबंध में कहा कि एक दो बार मैं खुद भवन का निरीक्षण कर चुका हूं। भवन काफी जर्जर हो चुका है। नए भवन की स्वीकृति के लिए 2018 में डीपीआई को आवेदन भेज दिया गया है, लेकिन अब तक इसकी स्वीकृति नहीं हो पाई है। डीपीआई को एक बार फिर रिमांईडर लेटर भेजा जाएगा। ताकि भवन की स्वीकृति जल्द ही हो सके। वहीं ग्राम पंचायत के सरपंच प्रतिनिधि दयालू भारती ने बताया कि प्राथमिक शाला सहेली शाला और अतिरिक्त कक्ष में संचालित हो रहा है। २००१-०२ में शाला भवन डिस्मेंटल किया था, लेकिन अब तक भवन नहीं बन पाया है। अतिरिक्त कक्ष व सहेली शाला भवन भी पूरी तरह जर्जर हो चुका है। नए भवन के लिए कई बार आवेदन भी दिया जा चुका है। इसके बाद भी स्वीकृति नहीं हुई है।
जिला शिक्षा अधिकारी सीएस धु्रव इस संबंध में कहा कि एक दो बार मैं खुद भवन का निरीक्षण कर चुका हूं। भवन काफी जर्जर हो चुका है। नए भवन की स्वीकृति के लिए 2018 में डीपीआई को आवेदन भेज दिया गया है, लेकिन अब तक इसकी स्वीकृति नहीं हो पाई है। डीपीआई को एक बार फिर रिमांईडर लेटर भेजा जाएगा। ताकि भवन की स्वीकृति जल्द ही हो सके। वहीं ग्राम पंचायत के सरपंच प्रतिनिधि दयालू भारती ने बताया कि प्राथमिक शाला सहेली शाला और अतिरिक्त कक्ष में संचालित हो रहा है। २००१-०२ में शाला भवन डिस्मेंटल किया था, लेकिन अब तक भवन नहीं बन पाया है। अतिरिक्त कक्ष व सहेली शाला भवन भी पूरी तरह जर्जर हो चुका है। नए भवन के लिए कई बार आवेदन भी दिया जा चुका है। इसके बाद भी स्वीकृति नहीं हुई है।