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UJJWALA YOJANA: उज्ज्वला योजना के बाद भी महिलाएं धुएं के बीच पका रहीं भोजन

कबीरधाम के 663 शासकीय स्कूल में सिलेण्डर-चूल्हा ही नहीं है। स्वसहायता समूह की महिलाएं लकड़ी और कंडे के सहारे धुएं के बीच ही मध्याह्न भोजन पका रही हैं।

कवर्धाSep 15, 2018 / 01:23 pm

Yashwant Jhariya

उज्ज्वला योजना के बाद भी महिलाएं धुएं के बीच पका रहीं भोजन

कवर्धा . महिलाएं धुआंरहित वातावरण में भोजन पका सके इसके लिए उज्ज्वला योजना के तहत घर-घर रियायती दर पर सिलेण्डर व चूल्हा दिया जा रहा है। लेकिन इससे स्वसहायता समूह की महिलाएं वंचित हो रही हैं।
उज्ज्वला योजना के तहत जिलेभर में अब तक 84 हजार से अधिक हितग्राहियों को सिलेण्डर व चूल्हा वितरण किया जा चुका है। जबकि 663 शासकीय स्कूल में सिलेण्डर और चूल्हा ही नहीं है। यहां पर स्वसहायता समूह की महिलाएं लकड़ी और कंडे के सहारे धुएं के बीच ही मध्याह्न भोजन पका रही है। चूंकि मध्याह्न भोजन की जिम्मेदारी महिला समूह को मिली है ऐसे में इन्हें सिलेण्डर व चूल्हे की सुविधा भी मिलनी चाहिए। डीईओ सीएस धु्रव का कहना है कि सिलेण्डर देना शासन स्तर की बात है। 600 से अधिक स्कूल में सिलेण्डर से खाना पकता है।
धुएं के बीच पका रही मध्याह्न भोजन
जिले में कुल 1480 प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालय हैं। इसमें 495 पूर्व माध्यमिक और 985 प्राथमिक स्कूल है। लेकिन एक भी पूर्व माध्यमिक स्कूल में सिलेण्डर व चूल्हा वितरण नहीं किया गया, जबकि यहां पर 52 हजार 206विद्यार्थी अध्यनरत हैं। इनके लिए महिला समूह धुएं के बीच ही खाना पकाती हैं।
168 प्राथमिक स्कूल ही वंचित
कई वर्ष पूर्व राज्य शासन द्वारा एक योजना शुरु हुई, जिसके तहत प्राथमिक स्कूल में सिलेण्डर व चूल्हे प्रधानपाठकों को वितरित किए गए। जिले के 985 प्राथमिक में से 816 स्कूल को सिलेण्डर व चूल्हा मौजूद है। वहीं 168 स्कूल इससे आज भी वंचित है। लेकिन मुख्य बात यह है कि जिस स्कूल में सिलेण्डर व चूल्हे दिए गए हैं वहां से भी अधिकतर स्कूल में अब मिट्टी के चूल्हे में लकड़ी व कंडे से ही मध्याह्न भोजन पकते दिखाई देता है।
केवल स्मार्ट क्लास पर फोकस
जिले 461प्राथमिक स्कूलों में स्मार्ट क्लास शुरू करने की कार्य योजना बनाई गई है। इसमें सहसपुर लोहारा ब्लॉक के 84 स्कूलों स्मार्ट क्लास शुरू हो गई है। सभी स्मार्ट क्लास में एलएडी टीवी दीवार पर लगाई गई है और कम्यूटर के माध्यम से आपरेट किया जा रहा है। इसके विपरित जिले के १६८ प्राथमिक स्कूल में सिलेण्डर-चूल्हा की कमी है। उस पर अधिकारी जरा भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है। ऐसे में स्मार्ट क्लास तो बनेगा, लेकिन स्मार्ट स्कूल नहीं।

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