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पंचायत में चुने हुए प्रतिनिधियों से काम की अपेक्षा करना बेकार

locationकवर्धाPublished: Apr 26, 2019 11:49:19 am

Submitted by:

Panch Chandravanshi

ज्यादातर ग्राम पंचायतों में सरपंच से लेकर पंच केवल नाम ही है। उन्हें न तो समस्याओं से कोई सरोकार है और न ही ग्रामीण विकास के लिए कोई कारगार योजना। इसके चलते गांवों में व्याप्त समस्याओं को देखकर भी अनदेखी की जाती है।

Panchayat representatives are worthless than work

Panchayat representatives are worthless than work

कवर्धा. पंचायती राज में सरपंच को पूरे पंचायत की प्रतिनिधि के तौर चुना जाता है। वहीं वार्डों की जिम्मेदारी पंचों की होती है। ग्राम पंचायतों में चुने गए जनप्रतिनिधि से ही ग्रामीण विकास की अपेक्षा करती है, लेकिन पंचायतों की स्थिति को देखते हुए पंचायत प्रतिनिधियों से ग्रामीण विकास की अपेक्षा बेकार है।
ज्यादातर ग्राम पंचायतों में सरपंच से लेकर पंच केवल नाम ही है। उन्हें न तो समस्याओं से कोई सरोकार है और न ही ग्रामीण विकास के लिए कोई कारगार योजना। इसके चलते गांवों में व्याप्त समस्याओं को देखकर भी अनदेखी की जाती है। चाहे हम ग्राम डबराभाट की बात करे या ग्राम दौजरी के वार्ड क्रमांक सात की गलियों की। जहां सूखे के दिनों में भी कीचड़ फैली हुई। मौसम चाहे जो भी यहां की तस्वीर जस का तस बना रहता है। हां बरसात के दिनों में स्थिति और भी भयानक होती है। कीचड़ व गंदगी को पार कर ग्रामीण अपने-अपने घर पहुंचते हैं। इसके पीछे मुख्य कारण निकासी नाली का अभाव है। गलियों में पक्की नाली नहीं होने के कारण निस्तारी का गंदा पानी गलियों में ही बहता रहता है, जो धीरे-धीरे कीचड़ का रुप लेकर लोगों के लिए मुसीबत खड़ी करती है।
पंचायतों में पंच, सरपंच निष्क्रिय
सूखे के दिनों में ग्राम दौजरी के वार्ड क्रमांक 07 के गलियों में कीचड़ लोगों के आफत खड़ी कर रही है। आवागमन करने वाले चोटिल हो रहे हैं। वहीं गंदगी के चलते मच्छर पनपने लगे हैं, जिससे बीमारी फैलने का डर बना हुआ है। वार्ड की गलियों की विकास के लिए पंचायती राज में पंच का चुनाव किया जाता है। ताकि अपने वार्ड की गली, मोहल्ले की साफ सफाई से लेकर छोटी छोटी समस्या को हल करें और अपने वार्ड के विकास के लिए पहल करे। लेकिन पंचायत में जब सरपंच ही निष्क्रिय हो तो पंचों से अपेक्षा करना बेकार है।
पंचायतों में बेबस ग्रामीण
लोकसभा, विधानसभा चुनाव की तरह पंचायतों में भी पांच सालों के लिए ग्रामीण अपने प्रतिनिधि चुनते हैं। पूरे ताम झाम के साथ ग्रामीण विकास की वादे किए जाते हैं, लेकिन चुनाव के बाद अपने जिम्मेदारी से मूंह फेर लेते हैं, जिसके लिए ग्रामीण उन्हे अपना प्रतिनिधि चुनते हैं। बिजली, पानी, नाली निर्माण, साफ सफाई के साथ अन्य छोटी-छोटी समस्याओं के समाधान के लिए पंचायात में ग्रामीण बेबस नजर आते हैं। क्योंकि बार-बार शिकायत के बाद भी वार्ड के पंच लेकर सरपंच समस्याओं का समाधान के लिए टलमटोल करते रहते हैं।

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