3 वाहनों की और जरूरत
जिला फायर स्टेशन में 7 वाहन है लेकिन इसमें दो वाहन खराब है। यह कंडम हो चुके हैं। अभी 5 वाहनों से ही काम किया जा रहा है, जबकि 3 और वाहनों की आवश्यकता है। इसमें भी 10 फायर मैन व 4 चालक है। यह स्टॉफ ही दिनरात काम करते हुए जिलेभर में जगह-जगह पहुंचते हैं। कॉल आते ही एक मिनट में निकलता होता है जबकि जितनी पहुंचेंगे आगजनी पर उतनी जल्दी ही काबू पाएंगे।
आगजनी का कारण
गन्ने के खेत हो या फिर मकान में आगजनी, मुख्य वजह शॉर्ट सर्किट और स्पार्किंग ही है। अधिकतर खेतों के ऊपर से विद्युत तार गुजरे हुए हैं। तार अधिक पुराने हो चुके हैं, हवाएं चलते ही तारों के बीच स्पार्किंग होती है। चिंगारी खेतों में गिरते ही गन्ने के सूखे छिलके पेट्रोल की तरह काम करते हैं। खेत देखते ही देखते ही आग की लपटों में बदल जाते हैं। वहीं घर में शॉर्ट सर्किट होता है आग लग जाती है, जिसके कारण घर जल जाता है।
मदद नहीं
आगजनी के घटना क्षेत्र में हुई वहां से जो नगर पंचायत के फायर ब्रीगेड नजदीक है वहां से रवानगी होनी चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं है। ऐसे में मदद के लिए कवर्धा फायर स्टेशन से ही फायर ब्रीगेड रवाना किया जाता है। इसके कारण समय पर मदद नहीं मिल पाती। इससे ही आग फैल जाता है और मकान, पैरावट, गन्ने की फसल नुकसान होता है। जबकि नगर पंचायत के फायर ब्रीगेड को इस पर तुरंत पहुंचने की आवश्यकता है।
जिला फायर स्टेशन में 7 वाहन है लेकिन इसमें दो वाहन खराब है। यह कंडम हो चुके हैं। अभी 5 वाहनों से ही काम किया जा रहा है, जबकि 3 और वाहनों की आवश्यकता है। इसमें भी 10 फायर मैन व 4 चालक है। यह स्टॉफ ही दिनरात काम करते हुए जिलेभर में जगह-जगह पहुंचते हैं। कॉल आते ही एक मिनट में निकलता होता है जबकि जितनी पहुंचेंगे आगजनी पर उतनी जल्दी ही काबू पाएंगे।
आगजनी का कारण
गन्ने के खेत हो या फिर मकान में आगजनी, मुख्य वजह शॉर्ट सर्किट और स्पार्किंग ही है। अधिकतर खेतों के ऊपर से विद्युत तार गुजरे हुए हैं। तार अधिक पुराने हो चुके हैं, हवाएं चलते ही तारों के बीच स्पार्किंग होती है। चिंगारी खेतों में गिरते ही गन्ने के सूखे छिलके पेट्रोल की तरह काम करते हैं। खेत देखते ही देखते ही आग की लपटों में बदल जाते हैं। वहीं घर में शॉर्ट सर्किट होता है आग लग जाती है, जिसके कारण घर जल जाता है।
मदद नहीं
आगजनी के घटना क्षेत्र में हुई वहां से जो नगर पंचायत के फायर ब्रीगेड नजदीक है वहां से रवानगी होनी चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं है। ऐसे में मदद के लिए कवर्धा फायर स्टेशन से ही फायर ब्रीगेड रवाना किया जाता है। इसके कारण समय पर मदद नहीं मिल पाती। इससे ही आग फैल जाता है और मकान, पैरावट, गन्ने की फसल नुकसान होता है। जबकि नगर पंचायत के फायर ब्रीगेड को इस पर तुरंत पहुंचने की आवश्यकता है।