scriptनदी में रोजाना समा रहा पांच लाख लीटर गंदा पानी | Five lakh liters of waste water per day in the river | Patrika News

नदी में रोजाना समा रहा पांच लाख लीटर गंदा पानी

locationकवर्धाPublished: Mar 09, 2019 12:03:57 pm

Submitted by:

Yashwant Jhariya

5.32 करोड़ रुपए से सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किया. 10 साल पूर्व योजना के अनुरूप काम नहीं हो पा रहा है। लाखों लीटर गंदा पानी आज भी नदी में समा रहा है।

sakari river

नदी में रोजाना समा रहा पांच लाख लीटर गंदा पानी

कवर्धा. शहर के गंदा पानी को सकरी नदी में जाने से रोकने के लिए शासन द्वारा करोड़ों की राशि खर्च तो की गई। बावजूद इसके आज भी लाखों लीटर पानी नदी को मैला कर रही है। जिस पर शासन-प्रशासन का कोई ध्यान नहीं है।
वर्ष 2009 में नगर के सकरी नदी में नालियों के पानी को जाने से रोकने और गंदे पानी को शुद्ध कर वापस नदी में पहुंचाने के लिए एक महत्वपूर्ण योजना बनाया गया। अटल आवास के पास 5.32 करोड़ रुपए की लागत से सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किया गया। 10 साल पूर्व योजना के अनुरूप आज भी काम नहीं हो पा रहा है। लाखों लीटर गंदा पानी आज भी नदी में समा रहा है। जबकि इस प्लांट का निर्माण इसलिए ही किया गया, ताकि नालों को पानी नदी के बजाए प्लांट में जाए और वहां से गंदा पानी को साफकर फिर से नदी भेजा जाए, ताकि दोबारा उपयोग हो सके। लेकिन आज तक ऐसा नहीं हो सका।
योजना के तहत प्लांट तक नदी के किनारे तीन किलोमीटर लंबी पाइप लाइन बिछाई गई है। इन्हीं पाइन लाइनों के माध्यम से नालियों के गंदे पानी को एकत्रित किया जाता है, जो सीधे प्लांट पहुंचता है। बावजूद नदी आज भी दूषित हो रही है। सीधे तौर पर कहा जाए तो 5 करोड़ 32 लाख रुपए की भारी भरकम राशि से निर्मित प्लांट से 50 फीसदी ही काम हो सका।
गिनती के नाली जुड़े
शहर में वैसे कई दर्जन नालियां हैं, लेकिन मुख्य रूप से 12 बड़ी नालियों से संकरी नदी में रोजाना औसतन 21 लाख लीटर दूषित पानी पहुंचता है। मतलब हर माह लगभग 630 लाख लीटर गंदा पानी नदी को दूषित कर रहा है। इन नालियों के मुहाने को ही प्लांट से जोडऩा था, लेकिन कुछ ही नालियों के मुंहाने को प्लांट से जोड़ा जा सका है। इसके चलते करीब 5 से 6 लाख लीटर पानी रोजाना प्लांट में जा रहा है। वहीं इससे कहीं अधिक गंदा पानी नदी में समा रहा है।
प्रमुख उद्देश्य में ही हो गए फैल
प्लांट लगाने का मुख्य उद्देश्य गंदा पानी नदी तक न पहुंचे था। साथ ही गंदे पानी को शुद्ध करना है, ताकि नदी के पानी का फिर से दैनिक उपयोग व खेती के लिए किया जा सके। लेकिन स्थानीय प्रशासन की कमजोरी की वजह से इस उद्देश्य की पूर्ति नहीं हो सकी। इस पर प्रशासन अब ध्यान देना ही बंद कर दिए हैं। जबकि इस पर ही काम किया जा सकता है और अन्य नालियों को प्लांट से जोड़कर नदी में गंदा पानी जाने से रोका जा सकता है।
पालिका ने नहीं ली जिम्मेदारी
सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा कराया गया। निर्माण के बाद इसे नगर पालिका को हस्तानांतरित करना था। लेकिन नगर पालिका प्रशासन द्वारा इसे लेने से इनकार कर दिया है, क्योंकि यह सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट पूरी तरह से फैल हो चुका है। जिस उद्देश्य की पूर्ति के लिए इसमें कार्य किया जाना था वह आज तक नहीं हो सका है।
-पीएचई के ईई आरके धनंजय ने बताया था कि नालियां चिन्हांकित कर ही योजना बनाया और नालियों को जोड़ा गया। लेकिन नालियां बढ़ती गई।जबकि प्लांट में पानी की सफाई हो रही है।
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