शहर में वैसे कई दर्जन नालियां हैं, लेकिन मुख्य रूप से 12 बड़ी नालियों से संकरी नदी में रोजाना औसतन 21 लाख लीटर दूषित पानी पहुंचता है। मतलब हर माह लगभग 630 लाख लीटर गंदा पानी नदी को दूषित कर रहा है। इन नालियों के मुहाने को ही प्लांट से जोडऩा था, लेकिन कुछ ही नालियों के मुंहाने को प्लांट से जोड़ा जा सका है। इसके चलते करीब 5 से 6 लाख लीटर पानी रोजाना प्लांट में जा रहा है। वहीं इससे कहीं अधिक गंदा पानी नदी में समा रहा है।
प्रमुख उद्देश्य में ही हो गए फैल
प्लांट लगाने का मुख्य उद्देश्य गंदा पानी नदी तक न पहुंचे था। साथ ही गंदे पानी को शुद्ध करना है, ताकि नदी के पानी का फिर से दैनिक उपयोग व खेती के लिए किया जा सके। लेकिन स्थानीय प्रशासन की कमजोरी की वजह से इस उद्देश्य की पूर्ति नहीं हो सकी। इस पर प्रशासन अब ध्यान देना ही बंद कर दिए हैं। जबकि इस पर ही काम किया जा सकता है और अन्य नालियों को प्लांट से जोड़कर नदी में गंदा पानी जाने से रोका जा सकता है।
सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा कराया गया। निर्माण के बाद इसे नगर पालिका को हस्तानांतरित करना था। लेकिन नगर पालिका प्रशासन द्वारा इसे लेने से इनकार कर दिया है, क्योंकि यह सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट पूरी तरह से फैल हो चुका है। जिस उद्देश्य की पूर्ति के लिए इसमें कार्य किया जाना था वह आज तक नहीं हो सका है।
-पीएचई के ईई आरके धनंजय ने बताया था कि नालियां चिन्हांकित कर ही योजना बनाया और नालियों को जोड़ा गया। लेकिन नालियां बढ़ती गई।जबकि प्लांट में पानी की सफाई हो रही है।