scriptवन विभाग चार लाख खर्च कर लगाए पौधें, अब मवेशियों का बना चारागाह | Forest Department spent four lakhs of plants planted, now cattle grazi | Patrika News

वन विभाग चार लाख खर्च कर लगाए पौधें, अब मवेशियों का बना चारागाह

locationकवर्धाPublished: Apr 28, 2019 11:42:03 am

Submitted by:

Panch Chandravanshi

ग्राम पंचायत ढ़ोरली के आश्रित ग्राम कड़कड़ा में वित्तीय वर्ष 2016-17 में महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना के तहत वन विभाग द्वारा 2 हैक्टेयर राजस्व भूमि में विभिन्न प्रजाति के पौधों पौधारोपण किया। पौधरोपण के बाद कुछ दिन बाद इस योजना को विभाग को मानो नजर ही लग गई, तभी तो विभाग के जिम्मेदार इस ओर मुंह फेर लिया।

Now the cattle-made grassland

Now the cattle-made grassland

इंदौरी. वन विभाग द्वारा पर्यावरण को संतुलित बनाने के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना के तहत 3.900 लाख रुपए खर्च कर अलग अलग प्रजाति के 800 पौधारोपण किया था, जो महज दो साल के भीतर में ही रोपनी क्षेत्र में गिनती की पौधे दिखाई दे रहे हैं। इसका मुख्य वजह रोपित पौधे मवेशियों का निवाला बन गया है।
सहसपुर लोहारा विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत ढ़ोरली के आश्रित ग्राम कड़कड़ा में वित्तीय वर्ष 2016-17 में महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना के तहत वन विभाग द्वारा 2 हैक्टेयर राजस्व भूमि में विभिन्न प्रजाति के पौधों पौधारोपण किया। पौधरोपण के बाद कुछ दिन बाद इस योजना को विभाग को मानो नजर ही लग गई, तभी तो विभाग के जिम्मेदार इस ओर मुंह फेर लिया। इसके चलते रोपित पौधे में से महज 2 साल के भीतर ही अधिकतर पौधे विकसित होने के पहले मुरझाकर नष्ट होने लगे। इस विषय पर ग्रामीणों से चर्चा के दौरान बताया कि विभाग पौधारोपण करने के बाद सुरक्षा के लिहाज से घेराबंदी के लिए पोल व कांटा तार लगाने आए थे। साथ ही पौधारोपण की ढिंढोरा पीटने के लिए एस्टीमेट सूचना पटल भी लगाए, जिसमें कार्य एजेंसी की रूपरेखा अंकित है। विभागीय अधिकारी के अमले कुछ दिन तक तो देखरेख व नन्हें पौधों को दो-चार दिन के अंतराल में नियमित पानी देने आते थे, लेकिन समय के साथ साथ वन विभाग के जिम्मेदार कुछ माह बाद लौटकर दोबारा नहीं आया।
सुरक्षा घेरा होने के बाद यह हाल
पौधरोपण करने के बाद देखभाल नहीं होने से नन्हे पौधे धीरे धीरे मुरझा कर मरने लगे। कुछ बचे पौधे हैं उन्हें गाय, भैंस अपना निवाला बनाकर ठूंड में बदल दिया है। कुछ लोग अपनी भैंस को लेकर रोपित एरिया में चारा चरा रहे हैं, जिसे रोकने वाला कोई नहीं है। वहीं वन विभाग के अधिकारी समय समय पर मानिटरिंग करने के बजाय बंद कमरे में आराम फरमा रहे हैं, जिसके कारण गिनती के पौधे दिखाई दे रहे हैं।
पौधारोपण के नाम पर लाखों खर्च
पौधरोपण के नाम पर हर साल लाखों रुपए खर्च के बाद भी योजना के तहत रोपित पौधे के रखरखाव में लापरवाही बरती जा रही है, जिससे रोपित एरिया में लगे पौधे विकसित होने के पहले नष्ट हो जाते हैं। इससे एक बात तो स्पष्ट है कि योजना के तहत पौधारोपण कर विभाग केवल औपचारिकता निभा रहे हैं। विभाग की फाइल में पौधा बड़ा होकर फुलने फलने लगता है। तभी तो इस तरह की कई जगह रोपित पौधे की हाल ऐसा ही है। ग्राम बंदौरा उनमें से एक है। लापरवाही सामने आती रहती हैं।
लगाए आठ सौ पौधे, बचे गिनती के
दो हेक्टेयर राजस्व भूमि पर वन विभाग ने मनरेगा तहत 800 नग आंमला, नीलगिरी, सीताफल जैसे विभिन्न प्रजाति के पौधे रोपे थे। महज दो बरस के अंतराल बाद अब रोपित एरिया में गिनती के पौधे दिखाई दे रहे हैं। चारों ओर जंगली घास फूस और छोटे छोट पौधे उग आए हैं। आलम यह है कि महज़ दस फीसदी पौधे बमुश्किल से ही दिखाई दे रहा है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो