ग्राम बसूलालूट में तो टंकी खुला पड़ा हुआ है। वहीं पाइप को स्कूल भवन के दीवार में लटका दिया गया है। टंकी में बूंदभर पानी नहीं है। साथ ही हैण्डपंप भी नहीं लगाया है। ऐसे में वाटर हार्वेस्टिंग का सिस्टम कैसे सफल होगा। दयाल सिंग, बलराम सहित अन्य ग्रामीणों का कहना है कि यहां पहाड़ में पानी नहीं रुकता तो लाख रुपए खर्च करने की क्या जरूरत है। वहीं संस्था के कर्मचारी हैण्डपंप के चोरी होने का बात कहकर मूंह मोड़ लेते हैं।