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कवर्धा

दिवाली पर नगर व अंचल में खूब बिखरी खुशियां

शुभ मुहूर्त में मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना कर एक-दूसरे को दी शुभकामनाएं, बैंड बाजे की परंपरागत धुन पर निकाली भगवान शिव की बारात, घरों में हुई गोवर्धन पूजा, पशुओं को लगाया भोग

कवर्धाNov 10, 2018 / 11:29 am

Panch Chandravanshi

Shivaji's exit procession

Shivaji’s exit procession

कवर्धा. गांव से लेकर शहर तक सभी जगहों पर हिंदुओं का सबसे बड़े त्योहार दीपावली धूमधाम से मनाया गया। जिलेभर में पांच दिनों तक दिवाली की रौनक देखने को मिला, लेकिन सबसे ज्यादा उत्साह लक्ष्मी पूर्जा व गोवर्धन पूजा के दिन देखने को मिला। शहर में जहां लक्ष्मी पूर्जा को मुख्य पर्व के रुप में मनाया जाता है, तो ग्रामीण क्षेत्र में गोवर्धन पूर्जा को।
बुधवार को शुभ मुहूर्त पर लक्ष्मी पूजा कर सुख व समृद्धि की कामना की गई और देररात तक पटाखे फोड़े व जलाए गए। दूसरे दिवस गौरा-गौरी विवाह व गोवर्धन पूजा की गई। कार्तिक कृष्ण पक्ष अमावस्या पर आसमान की ओर देखने पर केवल आतिशबाजियां ही दिखाई दी। दीपावली पर लोग बुधवार की सुबह से ही लक्ष्मी पूजा की तैयारी में जुट गए, क्योंकि लक्ष्मी पूजा के शुभ मुहूर्त शाम ६ बजे से आधी रात तक पूजन कार्यक्रम चलता रहा। शाम होते बच्चे सहित महिलाओं ने नए वस्त्र धारण कर मां लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा अर्चना की। पूजा में बताशे, लाई, फल, सिंघढा और मिठाई को भोग भगवान कुबेर और माता लक्ष्मी को लगाया। इसके साथ ही पुष्य नक्षत्र व धनतेरस पर खरीदा गया सोने, चांदी, नए बर्तनों और वाहनों की भी पूजा की गई। सौहाद्रता के प्रतीक बने दीए एक-दूसरे के आंगन और घरों के सामने रख दीपदान किए। इसके अलावा मंदिरों में भी सुख-समृद्धि के लिए दीए जलाए गए। जैसे ही लक्ष्मी पूजा हुई बच्चों ने रंग बिरंगी फूलझडिय़ां जलाई, वही बड़ों ने चकरी चलाई। अनारदानों की रंग-बिरंगी लाईट ने लोगों को आकर्षित किया। साथ ही दमदार आवाज वाले पटाखों का भी आनंद लोगों ने लिया।
शिवजी की निकली बारात
छत्तीसगढ़ की परंपरा के अनुसार बड़ी दिवाली के दूसरे दिन भगवान शिव की बारात निकाली जाती है, इसके लिए भगवान शिव और माता पार्वती को सजाया जाता है। बुधवार की रात जहां एक ओर लोग दीवाली मनाकर सो गए, वहीं दूसरी ओर गौरा-गौरी की तैयारी में लगे लोग रात भर जागते रहे। गुरुवार को नगर सहित ग्रामीण अंचलों में गौरा-गौरी पर्व की धूम रही। इसे भगवान शंकर व पार्वती की विवाह के रूप में मनाया जाता है। ग्राम गोपालभवना में शिवजी के बारात में पूरा गांव उमड़ पड़े। महिलाओं के साथ पुरुष व बच्चों ने नाचते गाते हुए बारात में शामिल हुए। धनतेरस को देवस्थल पर हूम-धूप देकर पर्व की शुरुआत की गई। बुधवार को मिट्टी लाया गया और रात में ही भगवान शिव(गौरा) व पार्वती(गौरी) की प्रतिमा बनाई गई। माता पार्वती की डोली बनाकर सजाया गया। दीपावली के दूसरे दिन सुबह से ही लोगों की अच्छी खासी भीड़ देव स्थल पर रही। दोपहर को बाजे-गाजे के साथ ही भगवान शिव की बारात निकाली गई। शादी के बाद भगवान शिव, पार्वती को ले जाने के लिए निकले। नगर भ्रमण के पश्चात शिवजी और पार्वती को नदी, तालाब में विसर्जित किया गया।
खूब फूटे पटाखें
दीपावली में महंगाई ने भले ही लोगों का दिवाला निकाल दिया हो, लेकिन पटाखा व्यापारियों के लिए फायदेमंद रहा। इस बार 80 फीसदी से अधिक पटाखों की बिक्री हुई। इससे पटाखा बाजार ने लगभग 70 लाख रुपए से अधिक का कारोबार किया। इस वर्ष किसानों के सोयाबीन फसल बर्बाद होने के बाद भी ग्राहकी में ज्यादा असर देखने को नहीं मिला। इसका मुख्य कारण धान बोनस का दिवाली के पहले मिलना है। पटाखा बाजार ने केवल चार दिन में ही लगभग 70 लाख रुपए का कारोबार किया। पिछले वर्ष 54 दुकानें थी, जिससे 55 लाख रुपए का कारोबार हुआ था। इससे शहर में उत्साह देखा गया।
गोवर्धन पूजा की
दिवाली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा की गई। लोग घरों के गौशाला और गौठन में गोबर से आकृति बनाकर पूजा-अर्चना किए। इस दिन घरों में छत्तीसगढ़ के पारंपरिक पकवान भी बनाए गए, जिसे गाय और मवेशियों को खिलाया गया। गोवर्धन पूजा के साथ ही यदुवंशियों का लोक उत्सव मातर मड़ई प्रारंभ हो जाता है। गांव में मातर मड़ई का आयोजन होगा।

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