स्वाइन फ्लू एक तेजी से फैलने वाली संक्रामक बीमारी है, जिससे बचने के लिए आपको इसके बारे में जानकारी होना बेहद आवश्यक है। स्वाइन फ्लू एक तीव्र संक्रामक रोग है, जो एक विशिष्ट प्रकार के एंफ्लुएंजा वाइरस (एच-1 एन-1) द्वारा होता है। इसका संक्रमण रोगी व्यक्ति के खांसने, छींकने आदि से निकली हुई द्रव की बूंदों से होता है। रोगी व्यक्ति मुंह या नाक पर हाथ रखने के पश्चात जिस भी वस्तु को छूता है, पुन: उस संक्रमित वस्तु को स्वस्थ व्यक्ति द्वारा छूने से रोग का संक्रमण हो जाता है। संक्रमित होने के पश्चात एक से सात दिन के अंदर लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं।
सीएमएचओ डॉ.केके गजभिये ने बताया कि प्रभावित व्यक्ति में सामान्य मौसमी सर्दी-जुकाम जैसे ही लक्षण होते हैं, जैसे – नाक से पानी बहना या नाक बंद हो जाना, गले में खराश, सर्दी-खांसी,बुखार, सिरदर्द, शरीर दर्द, थकान, ठंड लगना, पेटदर्द, कभी-कभी दस्त, उल्टी आना, कम उम्र के व्यक्तियों, छोटे बच्चों तथा गर्भवती महिलाओं को यह तीव्र रूप से प्रभावित करता है। स्वाइन फ्लू की रोकथाम के लिए जिला अस्पताल सहित अन्य स्वास्थ्य केन्द्रों में आवश्यक दिशा-निर्देश जारी कर दिया गया है।
स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए खांसी, जुकाम, बुखार के रोगी दूर रहें। आंख, नाक, मुंह को छूने के बाद किसी अन्य वस्तु को न छुएं व हाथों को साबुन, एंटीसेप्टिक द्रव से धोकर साफ करना चाहिए। खांसते, छींकते समय मुंह व नाक पर कपड़ा रखना चाहिए। तनाव से रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता कम हो जाती है जिससे संक्रमण होने की संभावना बढ़ जाती है। स्टार्च (आलू, चावल आदि) तथा शर्करायुक्त पदार्थों का सेवन कम करिए। खूब उबला हुआ पानी पीए व पोषक भोजन व फलों का उपयोग करना चाहिए।