दर्जनों ट्रक परिवहन कार्य में लगे हुए हैं। इन ट्रकों में ३० से ३५ टन धान भरकर ग्रामीण सडक़ों पर धड़ाधड़ दौड़ रहे हैं। ओवरलोड ट्रकों के गुजड्डड्डरने से सडक़ महज दो से तीन साल में ही जर्जर हो रहे हैं। रास्ते में जगह-जगह गड्ढे और गिट्टियां उखडऩे लगी है। विभागीय अधिकारियों द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। यही वजह है कि भारी वाहन सडक़ों की धज्जियां उड़ा रहे हैं।
पीएम सडक़ निर्माण के बाद पांच साल की गारंटी दी जाती है, लेकिन ग्राम कुण्डा-महका मार्ग महज तीन साल में ही जर्जर हो गई है। वहीं ग्राम कुण्डा-महली और कुण्डा से फास्टरपुर जाने वाली सडक़, बिरेंद्रनगर, चारभाठ सहित दर्जनों सडक़ की हालत भी चिंताजनक है। रोजाना भारी वाहन इन्हीं सडक़ों पर दौड़ रहे हैं, जिसके चलते सडक़ों की धज्जियां उखड़ गई है।
ग्रामीण सडक़ों पर १२ टन से अधिक क्षमता वाले वाहनों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया गया है। सडक़ किनारे प्रतिबंध के बोर्ड लगाए गए, लेकिन इसकी परवाह किसी को नहीं। रोजाना ग्रामीण सडक़ पर इन आदेशों को ठेंगा दिखाते धड़ल्ले से भारी वाहन दौड़ा रहे हैं, जिसे देखने वाला कोई नहीं है। विभागीय अधिकारी भी इस मामले में खामोश बैठे हैं।