प्रदेश के दूसरे जगहों पर भी शहद तैयार किया जाता है, लेकिन उनकी उत्पादन क्षमता कवर्धा में तैयार होने वाले शहद की मात्रा से कम है। यहां शहद को प्रोसेस के बाद बॉटलिंग की जाती है, जिसके बाद इसे वन विभाग के रायपुर स्थित मार्ट में भेज दिया जाता है। वहां से दूसरे राज्यों के संघ को भेजा जाता है। अमेजन सहित दूसरे ऑनलाइन ई-शॉपिंग साइट को भी भेजा जाता है, जो उपभोक्ताओं के डिमांड के आधार पर उन्हें ऑनलाइन सप्लाई करते हैं।
पहले शहद एकत्रित ही कम किया जाता था जिससे उत्पादन भी कम ही था, लेकिन अब ग्रामीण क्षेत्र से ज्यादा से ज्यादा शहद एकत्र कर व जागरूक करने के बाद इसकी मात्रा बढ़ गई है। बेहतर क्वालिटी के चलते इसकी मांग भी बढ़ गई है। जिले के सभी प्रमुख स्थानों पर वन विभाग का शहद उपलब्ध है।
वनमंडलाधिकारी दिलराज प्रभाकर ने बताया कि प्रदेश में साल 2019 से वनधन योजना शुरू होने के बाद काफी तेजी से बदलाव आया है। शहद की मांग व आय भी इसी का परिणाम है। प्रदेश में 52 प्रकार के लघु वनोपज की खरीदी समितियों के माध्यम से की जा रही है। वनोपज को बेचने से लाभ हो रहा है। ये अब कार्मशियल श्रेणी में आ गया है, जिसका ज्यादा से ज्यादा लाभ हो रहा है।