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चार इंच दीवार खड़ी कर बन रहे पीएम योजना के तहत आवास

locationकवर्धाPublished: Mar 06, 2019 11:26:24 am

Submitted by:

Panch Chandravanshi

गैंदपुर में ग्रामीण आवास योजना तहत ग्राम के हितग्राही जगदेव गोड़, सुखदेव गोड़ व खेम सिंह के निर्माणाधीन आवास की एक नहीं, बल्कि सभी दीवारें महज 4 इंच मोटी बनाई गई है, जिसका दीवार लेबल छत तक हो चुकी है।

Houses built with a four-inch wall stand

Houses built with a four-inch wall stand

इंदौरी. अब तक हितग्राही आवास निर्माण के बाद दूसरे, तीसरे किस्त के राशि नहीं मिलने की मामला अक्सर सुनने में आता था, लेकिन यहां तो हितग्राही खुद आवास निर्माण में नियमों को ताक में रखकर निर्माण कर रहे हैं। ऐसे में आवास की गुणवत्ता पर सवाल उठाना लाजमी है।
ग्राम गैंदपुर में निर्माणाधीन आवास की सभी दीवारें 4 इंच पर टिकी है। ऐसे में लोग स्थानीय स्तर पर आवास निर्माण के निगरानी रखने वाले जिम्मेदार आवास मित्र व इंजीनियर पर सवाल खड़े कर रहे हैं। ग्राम पंचायत सरपंच प्रतिनिधि खुद इस पर सवाल उठाया है। वहीं आवास मित्र इस पूरे मामले को लेकर अपना बचाव करते हुए निर्माण कार्य से जुड़े नियमों की जानकारी नहीं होने की बता रहे हैं।
गुणवत्ताहीन निर्माण पर उठ रहे सवाल
गैंदपुर में ग्रामीण आवास योजना तहत ग्राम के हितग्राही जगदेव गोड़, सुखदेव गोड़ व खेम सिंह के निर्माणाधीन आवास की एक नहीं, बल्कि सभी दीवारें महज 4 इंच मोटी बनाई गई है, जिसका दीवार लेबल छत तक हो चुकी है। अब महज आवास की छत की दरकार है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिम्मेदार लोगों के सह में जियो टेकिंग कर हितग्राही को गुणवत्ताहीन आवास निर्माण कराने में तुले हैं, जिससे निर्माणाधीन आवास की गुणवत्ता पर गांव में तरह तरह के सवाल खड़े कर रहे हैं। जरूरतमंद गरीब परिवार को रहने के लिए पक्के आवास की सुविधा मिल सके। इस उद्देश्य से सरकार ने पीएम आवास योजना बनाई। पात्र हितग्राही के खाते में सीधे किस्तों के माध्यम से एक लाख तीस हजार रुपए की राशि दी जाती है।
नहीं है पुरी जानकारी
पीएम आवास योजना तहत आवास मित्र के माध्यम से ही गांव में आवास की जीओ ट्रैकिंग कर विभिन्न गतिविधियों की जानकारी देता है। साथ ही समय-समय पर आवास निर्माण की गाईडलाइन हितग्राही को दिया जाता है। वहीं इस तरह की निर्माण पर नजर रखने की जिम्मा इंजीनियर का होता है। इसके बाद भी इस तरह का निर्माण सामने आ रही है। योजना की गुणवत्ता पर सवाल उठते हैं।
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