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कवर्धा

बिना परमिशन के धड़ल्ले चल रहा अवैध ईंट भट्ठों का कारोबार

नदी किनारे आसपास के इलाकों में बड़ी मात्र में छोटे-बड़े ईंटों का भट्ठा लगाया गया है। क्षेत्र में निजी निर्माण के अलावा शासकीय कार्यों के लिए इसका उपयोग हो रहा है, जिसके लिए खनिज विभाग से किसी प्रकार की अनुमति नहीं ली गई है

कवर्धाMar 06, 2019 / 11:35 am

Panch Chandravanshi

Illegal brick kilns business

Illegal brick kilns business

इंदौरी. क्षेत्र में इन दिनों अवैध ईट भट्ठों का संचालन जोर-शोर चल रहा है। संचालकों द्वारा न तो खनिज नीति का पालन किया जा रहा है और न ही स्थानीय निवासियों की स्वास्थ्य की कोई चिंता। बाहर से मजदूर बुलाकर गुणवत्ताहीन ईंट से मोटी रकम कमा रहे हैं।
नदी किनारे आसपास के इलाकों में बड़ी मात्र में छोटे-बड़े ईंटों का भट्ठा लगाया गया है। क्षेत्र में निजी निर्माण के अलावा शासकीय कार्यों के लिए इसका उपयोग हो रहा है, जिसके लिए खनिज विभाग से किसी प्रकार की अनुमति नहीं ली गई है न ही रहती है। नियमानुसार 25 हजार तक ईंट बनाने के लिए तहसीलदार व 50 हजार या इससे अधिक ईंट निर्माण के लिए खनिज विभाग के अनुमति लेना होता है, लेकिन आसपास ग्रामीण अंचलों कई ईट भट्ठे लगाए जा चुके हैं और लगाए भी जा रहे हैं, लेकिन स्थानीय प्रशासन इन अवैध भट्ठों पर अंकुश लगाने में सफल नहीं हो पा रहा है और न ही किसी प्रकार की कोई कार्रवाई कर रहे हैं। ग्राम मोहतरा में बगीचे के समीप नदी किनारे ईंट की भट्टी दहक रही है। इसी तरह ग्राम कड़कड़ा सहित आसपास के गांवों में नदी किनारे अवैध ईट भट्ठों का खेल चल रहा है। दूसरे राज्य से आए संचालकों द्वारा यहां धड़ल्ले से ईंट भट्ठों का कारोबार बड़े पैमाने पर चला रहे हैं। बिना किसी पैमाने के यह कारोबार ग्रामीणों के आड़ में ठेकेदार चलाते हैं, उनकी देखा देखी स्थानीय निवासी भी नियमों की अनदेखी करी निर्माण कराया जा रहा है। यह सिलसिला हर वर्ष देखने को मिलता है। वहीं विभागीय की ओर से कसावट नहीं होने के कारण ईट भट्ठों का कारोबार तेजी से बढ़ रहा है।
गांव में फैल रही जहरीली हवा
मूलत: इस ईंट को पकाने के लिए उच्च स्तरीय कोयले का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन राशि बचाने के चक्कर में यह अवैध निर्माता ईट को सोयाबीन की अवशेष व लकड़ी से पकाते हैं। इस वजह से इससे उठने वाला धुआं पर्यावरण सहित लोगों के स्वास्थ्य पर विपरीत असर डालता है। इस तरह से कई भट्ठे आबादी क्षेत्र में संचालित किया जा रहा है। इससे लोगों के स्वास्थ्य बूरा असर पड़ रहा है।
बिना एनओसी संचालित
क्षेत्र में संचालित ईंट भट्ठा संचालकों ने खनिज विभाग से एनओसी नहीं लिया है। साथ ही पर्यावरण विभाग से भी अनुमति नहीं ली गई है। बावजूद इसके जांच या कार्रवाई नहीं होने से संचालकों की मनमानी बढ़ती जा रही है। इधर भट्ठा संचालक अवैध विद्युत कनेक्शन भी ले रखे हैं। इस तरह अवैध भट्ठा संचालन से सरकार को रायल्टी का नुकसान पहुंचा रहे हैं।

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