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अधूरा पीएम आवास: बकरी-मुर्गी बेचकर अब बनाएंगे आशियाना

locationकवर्धाPublished: Feb 13, 2019 11:17:25 am

Submitted by:

Panch Chandravanshi

पिछले तीन माह से दूसरी किस्त की राशि नहीं मिलने से आवास तो अधूरा ही है। वहीं परिवार को सर छुपाने के किराए के मकान पर रहना पड़ रहा है।

Incomplete prime accommodation

Incomplete prime accommodation

इंदौरी. पीएम योजना के तहत पक्के मकान का सपना साकार करने के लिए एक गरीब परिवार को अपनी आशियाना तोडऩा महंगा पड़ता नजर आ रहा है। अब हितग्राही को पीएम आवास को पूरा करने के लिए अपनी बकरी मूर्गी तक बेचना पड़ रहा है।
पिछले तीन माह से दूसरी किस्त की राशि नहीं मिलने से आवास तो अधूरा ही है। वहीं परिवार को सर छुपाने के किराए के मकान पर रहना पड़ रहा है। ऐ कोई हिन्दी फिल्म की नहीं बल्कि भाठाटोला निवासी सबलूराम गोड़ की है। गरीब परिवारों को रहने के लिए पक्के आवास की सुविधा मिल सके इस उद्देश्य से सरकार ने पीएम आवास योजना बनाई। इसके तहत हितग्राही को पक्का मकान का सपना साकार हुआ तो है, लेकिन कई हितग्राही ऐसे भी है, जिसको योजना के तहत समयावधि में दूसरी किश्त की राशि नहीं मिलने विकट समस्या सामने आ गई है। ऐसी ही विडंबना सहसपुर लोहारा जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम पंचायत रामपुर के भाठाटोला में देखने को मिल रहा है। पीएम योजना में सबलूराम गोड़ को शासन द्वारा पक्के मकान का विभागीय फरमान मिला। वह जल्द ही आवास निर्माण शुरू करने कहा। संबलू रोजी मजदुरी कर परिवार का भरण-पोषण करता है। गरीब परिवार होने के कारण लगभग दर्जनों बकरीयां पालने का काम अपनाएं हैं। इसके कारण परिवार के लोगों को काफी परेशानी हो रही है। शासन के योजना का लाभ नहीं मिल रहा है।
किराए के मकान में रहने को मजबुर
पीएम आवास की सूची में नाम आने के बाद संबलू का पक्के मकान का सपना साकार होने से परिवार में खुशी का लहर था। दुकानदारों से कर्ज लेकर ईंट, रेत, सिमेंट सहित अन्य निर्माण सामाग्री खरीदकर आवास निर्माण कराए, लेकिन अब तीन माह बीतने के बाद अगली किस्त के लिए सरपंच, सचिव व बैंक के चक्कर लगा कर पांव घिसकर थक गए। अब दुकानदार के लगातार मिल रही तकाजा से परेशान है। ऐसे में हितग्राही को विकट समस्या का सामना करना पड़ रहा है। वर्तमान में आवास अधूरा पड़ा है। ऐसे में परिवार को गुजर-बसर करने के लिए किराए के घर में रहना पड़ रहा है।
कर्ज चुकाने कर रहे पलायन
इस गांव में यह कोई पहला मामला नहीं है। इसके अलावा आठ और हितग्राही का मकान अधुरा पड़ा है। कई लोग अपने गहने को गिरवी रख कर कर्ज अदा कर रहे हैं। वहीं हितग्राही संतोष नेताम ने बताया कि उन पर लगभग ४० हजार रुपए का कर्ज चढ़ गया है। उसे चुकता करने के लिए उनके दोनों बेटे पुना चले गए हैं।
पहली किश्त के बाद नहीं मिली दूसरी किश्त
आवास निर्माण के शुरुवात में योजना तहत प्रथम किश्त के रुप में ३५ हजार रुपए सीधे खाते में आ गया। पैसे आने के बाद हितग्राही परिवार कच्चे मकान तोड़ कर सज्जा लेबल तक निर्माण भी कर लिया है, जिसमें करीब लाख रुपए खर्च किए। अब दो माह बीतने के बाद भी अगली किस्त की राशि नहीं मिल रहा है। अब अधूरे आवास पूरी करने के लिए बकरी मूर्गी बेचना पड़ रहा है।

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