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जर्जर भवन: खिड़की-दरवाजा गायब, शिक्षा के मंदिर में शाम होते ही छलकाते हैं जाम

locationकवर्धाPublished: Jul 27, 2019 11:42:52 am

Submitted by:

Panch Chandravanshi

ग्राम पंचायत चचेड़ी स्थित शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय में देखी जा सकती है। वर्तमान में करीब 52 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं, जो शिक्षा ग्रहण करने के लिए नियमित शाला समय पर स्कूल पहुंच जाते हैं, लेकिन आसामाजिक तत्वों के घिनौने बरताव से छात्र-छात्राएं परेशान हो चुके हैं।

Shabby building: window-door missing

Shabby building: window-door missing

इंदौरी. खुद का स्कूल भवन तो था, लेकिन जर्जर होने के कारण दो साल पहले ही बूढ़े स्कूल भवन भी साथ छोड़ दिया। दरअसल शाला संचालित समय पर ही सिलिंग का मलबा भरभरा कर गिर गया, जिससे अध्ययनरत छात्र चोटिल भी हुए थे। तब से सरकारी फरमान पर अस्थाई रुप से जर्जर खाली पड़े आयुर्वेदिक औषधालय भवन में स्कूल संचालित हो रहा है।
अब यहां भी असामाजिक तत्वों ने डेरा डाल कर ज्ञान के मंदिर कहे जाने वाले स्कूल को मयखाना बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। आए दिन स्कूल परिसर सहित बरामदे व कमरे में शराब की बोतलें, पानी पाऊच सहित चखना, बिड़ी, सिगरेट का अवशेष इधर-उधर बिखरे पड़ी रहती है। ऐसी दयनीय स्थिति गुढ़ा संकुल केन्द्र के ग्राम पंचायत चचेड़ी स्थित शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय में देखी जा सकती है। वर्तमान में करीब 52 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं, जो शिक्षा ग्रहण करने के लिए नियमित शाला समय पर स्कूल पहुंच जाते हैं, लेकिन आसामाजिक तत्वों के घिनौने बरताव से छात्र-छात्राएं परेशान हो चुके हैं। कार्यरत शिक्षक बताते हैं कि भवन में न तो दरवाजा है और खिड़की खुली हुई। ऐसे में आसामाजिक तत्वों द्वारा स्कूल बंद होने के बाद व रात के अंधेरे में रोजाना शराब पीकर शराब की बोतलें तोड़ देते हैं। कई बार कांच के तुकड़े छात्र-छात्राओं के पैरों पर चूभ भी जाते हैं। इस स्थिति से बचने के लिए छात्र-छात्राएं व सफाई कर्मचारी रोजाना शाला लगने के पहले आकर आसामाजिक तत्वों की फैलाई गंदगी अवषेश को साफ सफाई करते हैं। तब कहीं जाकर शाला की गतिविधियां संचालित हो पाता है। इसके बाद भी न तो स्थानिय जिम्मेदारों का ध्यान न ही विभाग के अधिकारियों का।
भवन जर्जर में खिड़की-दरवाजा नहीं
ग्राम पंचायत चचेड़ी में शासकीय माध्यमिक शाला संचालित तो है, लेकिन ग्रामीण छात्रों को शिक्षा ग्रहण करने के लिए खुद का भवन नहीं है। मजबूरी वश गांव के खाली पड़े आयुर्वेदिक औषधालय के कंडम भवन में छात्रों को पठन पाठन कराया जा रहा है, जिसमें न तो किसी कमरें दरवाजा है न ही खिड़की। ऐसे में कंडम भवन पर आसामाजिक तत्वों का बसेरा होने से भवन मयखाना साबित होता नजर आ रहा है।
नल व बिजली बोर्ड भी क्षतिग्रस्त
पुराने भवन में सुविधा के नाम पर केवल विद्युत व्यवस्था व नल ही है, जिसको भी अपवाद लोगों के नजर में है। निशाना बनाने के मकसद से बिजली बोर्ड क्षतिग्रस्त कर चुके है। वहीं छात्रों के पानी पीने के लिए लगाए गए नल को क्षतिग्रस्त कर टोटी उखाड़कर गायब कर चुके हैं। यहां तक के स्कूल में समय देखने वाली दिवाली घड़ी को पार कर गए। ऐसे में शाला प्रबंधन की स्कूली दस्तावेज की चौकीदारी भगवान भरोसे हैं।
दो साल से नए भवन की मांग
वैसे तो शासन द्वारा बच्चों को शिक्षा के लिए प्रेरित करने स्कूल चले अभियान, बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ जैसे अभियान के तहत बच्चों के शिक्षा के प्रति गंभीरता दिखाता है। मगर बच्चें जिन स्कूल में जाकर शिक्षा ग्रहण करते हैं। वहां के हालात कैसे हैं, भवन की स्थिति क्या है? स्कूल जरुरी संसाधन उपलब्ध है या नहीं। शाला प्रबंधन की मानें तो वह पिछले साल से भवन की मांग संबंधित विभाग से कर रहे हैं, लेकिन विभाग ध्यान नहीं दे रहा है।
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