ये कैसा नियम, पंजीयन कराने में 50 हजार किसानों को हो रही परेशान
कबीरधामPublished: Oct 01, 2016 11:28:00 pm
प्रदेश सरकार द्वारा अब किसानों को समर्थन मूल्य पर यदि धान बेचना है तो एक माह पहले तहसील कार्यालय में पंजीयन कराना होगा,
Registrant bother getting 50 thousand farmers
कवर्धा. प्रदेश सरकार द्वारा अब किसानों को समर्थन मूल्य पर यदि धान बेचना है तो एक माह पहले तहसील कार्यालय में पंजीयन कराना होगा, लेकिन हर वर्ष के पंजीयन कराने से किसान अधिक परेशान हो चुके हैं। पंजीयन के नाम पर उन्हे एक माह तक भटकना पड़ रहा है।
जिले में हर वर्ष लगभग 50 हजार किसानों का पंजीयन होता है और इतने ही किसान समर्थन मूल्य पर धान भी बेचते हैं। प्रशासन के पास इन किसानों की सारी जानकारी होने के बाद भी पंजीयन के लिए बाध्य किया जाता है। इससे किसान अधिक परेशान हो चुके हैं। पटवारी द्वारा खेत में जाकर पूरी जानकारी व पर्ची देखने के बाद सत्यापन करता है। इसके बाद वे तहसीदार से हस्ताक्षर कराने के बाद सोसायटियों में जाकर इंट्री कराया जाता है।
जबकि पहले बेचे किसानों का इंट्री पटवारी व सोसायटियों में पहले से रहता है। इसके बाद भी किसानों को पंजीयन के नाम पर भटकाया जा रहा है। नेवारी व लालपुर के किसानों ने बताया कि पहले इस प्रकार का पंजीयन नहीं कराना पड़ता था, लेकिन पिछले तीन वर्ष से शासन प्रशासन ने किसानों को परेशान करने के लिए पंजीयन कराने को कहा गया है। जबकि सारी जानकारी सोसायटी व पटवारी के पास होती है।इसके बाद भी किसान भटक रहे हैं।
हर बार जमा करते हैं यह जानकारी
किसानों को पंजीयन के नाम पर हर वर्ष नए सिरे से पंजीयन कराना होगा। शर्तों के मुताबिक खरीदी के लिए पंजीयन कराते वक्त किसान को अपने पासपोर्ट साइज फोटो, मतदाता परिचय पत्र क्रमांक, मोबाइल नंबर, ऋण पुस्तिका की फोटोकॉपी, कुल रकबा और धान के रकबे की जानकारी सहित कई अन्य ब्यौरा देना पड़ रहा है। यह जानकारी हर वर्ष देना होता है। इससे किसानों को हजार रुपए तक खर्च हो जाता है। वहीं पटवारी व तहसीलदार के नहीं मिलने पर भटकना पड़ता है।
38 हजार किसानों का हुआ पंजीयन
जिले में पिछले वर्ष 50 हजार 155 किसानों का पंजीयन हुआ था। इस बार एक माह से पंजीयन का काम किया जा रहा है और केवल 38 हजार किसानों का पंजीयन हुआ है। जबकि अब भी 12 हजार से अधिक किसान बचे हुए हैं। इन्हे 15 दिवस के भीतर पंजीयन कराना है। पंजीयन कराने की अंतिम तिथि 15 अक्टुबर ही रखा गया है। इससे किसान अधिक परेशान हो चुके हैं।