बिरेन्द्रनगर सीट पर 1993 में सियाराम साहू को भाजपा से जातीय समीकरण के तहत टिकिट मिला और जीते भी। इसके बाद 1998 में फिर से इन्हें ही टिकिट मिला, लेकिन हार गए। मोहम्मद अकबर जीत गए। यहां पर जातीय समीकरण काम नहीं किया। इसके बाद वर्ष 2008 में जब बिरेन्द्रनगर पंडरिया विधानसभा में बदला तो भाजपा ने जातीय समीकरण में कुर्मी समाज को प्रतिनिधित्व दिया। बावजूद मोहम्मद अकबर ने कुर्मी बाहुल्य विधानसभा में जीत दर्ज की। मतलब यहां पर भी जातीय फैक्टर काम नहीं आया। 2013 में भाजपा से मोतीराम चंद्रवंशी ने जीत दर्ज की, जबकि कांग्रेस से लालजी चंद्रवंशी थे। मतलब यह स्पष्ट ही नहीं है कि कवर्धा और पंडरिया विधानसभा में जातीय समीकरण के चलते मतदाता विधायक चुनते हैं।
जातीय समीकरण वास्ता नहीं
जातीय समीकरण कवर्धा विधानसभा क्षेत्र में वर्ष 2003 से प्रारंभ हुआ। इसके बाद पहले तक यहां पर कोई जातीय समीकरण नहीं चला था। वर्ष वर्ष 2003 व 2008 में भाजपा से डॉ.सियाराम साहू को टिकिट मिला और 2013 में अशोक साहू को। वहीं कांग्रेस में 2003 व 2008 में योगेश्वर राज सिंह को टिकिट दिया गया। जबकि 2013 में मोहम्मद अकबर को टिकिट मिला। मतलब यहां पर कोई जातीय समीकरण नहीं बैठता। बावजूद प्रत्याशी कहीं हारे तो कहीं जीते।