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चिल्फी हादसे से नहीं लिया सबक: मालवाहक वाहनों में अब भी ढो रहे सवारी

locationकवर्धाPublished: May 15, 2019 11:25:16 am

चिल्फी में पिछले साल हुई घटना से न तो लोगों ने सबक ली, न वाहन चालक और पुलिस प्रशासन से, जिसमें सात लोगों की जान गई थी और 28 लोग घायल हुए थे। शादी सीजन में मालवाहकों में लोगों को ढोए जा रहे हैं।

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चिल्फी हादसा से नहीं ली सबक: मालवाहक वाहनों में ढो रहे सवारी

कवर्धा@Patrika. चिल्फी में पिछले साल हुई घटना से न तो लोगों ने सबक ली, न वाहन चालक और पुलिस प्रशासन से, जिसमें सात लोगों की जान गई थी और २८ लोग घायल हुए थे। शादी सीजन में मालवाहकों में लोगों को ढोए जा रहे हैं।
मालवालक को यात्री वाहन बनाकर जान से खिलवाड़

मेटाडोर, ट्रैक्टर ट्राली, पिकअप ट्रक, छोटा हाथी जैसे मालवालक को यात्री वाहन बनाकर जान से खिलवाड़ किया जा रहा है। यह लापरवाही स्वयं लोग और वाहन चालकों की है। लेकिन उनके जानमाल की रक्षा करना और उन्हें जागरुक करने की जिम्मेदारी पुलिस प्रशासन की भी है, जो कि फिलहाल नहीं हो रहा है। इसका ही नतीजा पिछले वर्ष चिल्फी में मेटाडोर पलटने पर देखने को मिलाा था, जिसमें ७ लोगों ने अपनी जान गवांई थी और २८ लोग घायल हुए थे। वहीं ट्रैक्टर, पिकअप पलटने से लगातार हादसे हो ही रहे हैं। अभी रोजाना ही नेशनल हाइवे से लेकर गांव प्रमुख सड़कों पर मालवाहकों से ही लोगों को ढोते हुए दिखाई दे रहे हैं।
मालवाहकों को मिली स्पेशल छूट
जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन की ओर से मालवाहकों को छूट मिली हुई है। इसके चलते ही तो वह अपने मालवाहकों को यात्री वाहन के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। पुलिस यदि ज्यादा ही रोके टोके तो ४०० रुपए का चालान भर दें। इसके बाद वह फिर से नियम तोड़कर फर्राटा भर सकते हैं। लेकिन जब हादसा होता है तो पुलिस प्रशासन पर ही उंगली उठती है बावजूद सिस्टम ऐसा ही चल रहा है।
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तीन वर्ष के आंकड़ों पर एक नजर..
वर्ष दुर्घटना घायल मौत
२०१६ ३१८ २६४ ९३
२०१७ २८६ ३१२ ७५
२०१८ ३४३ ४६६ १३४

दो साल में 46 लाख रुपए वसूली

वर्ष २०१७ में २८६ सड़क दुर्घटनाएं हुए। इसमें ३१२ लोग घायल हुए, जबकि ७५ लोगों ने अपनी जान गंवाई। चालानी कार्रवाई के रूप में वाहन चालकों से २७ लाख रुपए से अधिक की राशि भी वसूली। वहीं वर्ष २०१८ में ३४३ सड़क हादसों में ४६६ घायल और १३४ लोगों की मौत हो गई। साथ ही बीते वर्ष में चालानी कार्रवाई के रूप में १९ लाख रुपए वसूले गए। इसके बाद न तो वाहन चालकों को समझ आया और नहीं व्यवस्था में सुधार हो पाया।
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