जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन की ओर से मालवाहकों को छूट मिली हुई है। इसके चलते ही तो वह अपने मालवाहकों को यात्री वाहन के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। पुलिस यदि ज्यादा ही रोके टोके तो ४०० रुपए का चालान भर दें। इसके बाद वह फिर से नियम तोड़कर फर्राटा भर सकते हैं। लेकिन जब हादसा होता है तो पुलिस प्रशासन पर ही उंगली उठती है बावजूद सिस्टम ऐसा ही चल रहा है।
वर्ष दुर्घटना घायल मौत
२०१६ ३१८ २६४ ९३
२०१७ २८६ ३१२ ७५
२०१८ ३४३ ४६६ १३४ दो साल में 46 लाख रुपए वसूली वर्ष २०१७ में २८६ सड़क दुर्घटनाएं हुए। इसमें ३१२ लोग घायल हुए, जबकि ७५ लोगों ने अपनी जान गंवाई। चालानी कार्रवाई के रूप में वाहन चालकों से २७ लाख रुपए से अधिक की राशि भी वसूली। वहीं वर्ष २०१८ में ३४३ सड़क हादसों में ४६६ घायल और १३४ लोगों की मौत हो गई। साथ ही बीते वर्ष में चालानी कार्रवाई के रूप में १९ लाख रुपए वसूले गए। इसके बाद न तो वाहन चालकों को समझ आया और नहीं व्यवस्था में सुधार हो पाया।