वनमंडलाधिकारी दिलराज प्रभाकर ने बताया कि लाइव वायर डिटेक्टर डिवाइस मंगाया गया है। जिले के वनक्षेत्र में जीआई तार से करंट लगाकर वन्यप्राणियों का शिकार किया जाता है। कभी-कभी इसकी चपेट में फॉरेस्ट गार्ड भी आ जाते हैं, जिसके चलते उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है। इसलिए इस डिवाइस का उपयोग किया जाएगा, जो फॉरेस्ट गार्ड को पांच मीटर ही पहले ही बीप-बीप की आवाज से खुले में तार बिछाकर करंट लगाने की जानकारी देगा। उससे गार्ड सचेत होगा, जो खुद करंट से बचेगा और वन्य प्राणियों को भी करंट से बचाएगा।
डब्लूडब्लूएफ की मांग पर नीति आयोग के निर्देश पर अटल इनोवेशन सेंटर के छात्रों ने अथक मेहनत व दो-तीन प्रयासों के बाद इस डिवाइस को बनाया है। इसे ट्रायल के रूप में अभी कुछ अभयारण्य व टाईगर रिजर्व क्षेत्र में दिया जा रहा है। हालांकि इस तरह की डिवाइस कान्हा, बांधवगढ़ में उपयोग किया जा रहा है, जो सफल भी है। धीरे से इसकी संख्या बढ़ाई जाएगी। कुछ सुधार की गुंजाइश होगी तो सुधारने के बाद इसे बड़े पैमाने पर खरीदी की जाएगी।