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कवर्धा जिले में टिड्डी दल ने किया हमला, सकते में किसान, मारने में जुटी फायर बिग्रेड की एक दर्जन गाडिय़ां

locationकवर्धाPublished: Jun 18, 2020 12:39:49 pm

Submitted by:

Dakshi Sahu

टिड्डियों के हमले ने प्रशासन और किसानों के कान खड़े कर दिए हैं। टिड्डियों का दल छुईखदान से होते हुए कबीरधाम जिले के खारा वनांचल क्षेत्र में प्रवेश कर चुका है। (Tiddi dal attack in chhattisgarh)

कवर्धा जिले में टिड्डी दल ने किया हमला, सकते में किसान, मारने में जुटी फायर बिग्रेड की एक दर्जन गाडिय़ां

कवर्धा जिले में टिड्डी दल ने किया हमला, सकते में किसान, मारने में जुटी फायर बिग्रेड की एक दर्जन गाडिय़ां

कवर्धा. एक तरफ कोरोना संक्रमण और दूसरी ओर टिड्डियों के हमले ने प्रशासन और किसानों के कान खड़े कर दिए हैं। टिड्डियों का दल छुईखदान से होते हुए कबीरधाम जिले के खारा वनांचल क्षेत्र में प्रवेश कर चुका है। यह जिले के किसानों के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकता है क्योंकि करोड़ों टिड्डी 4 से 5 किलोमीटर के क्षेत्र में फैले हुए हैं, जो फसलों को बर्बाद कर सकते हैं। हालांकि फायर ब्रिगेड की मदद से कीटनाशक से इन्हें खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है।
हवा का रूख बदलते ही बीती रात राजनांदगांव की ओर से टिडिड्यों का दल कबीरधाम के अंतिम छोर खारा वन परिक्षेत्र में प्रवेश किया। कृषि विभाग की टीम इन पर नजर जमाए हुए थे। छुईखदान से जैसे ही टिडिड्यों का दल खारा क्षेत्र में प्रवेश किया इन्हें आगे बढऩे से रोकने और खत्म करने के लिए कीटनाशक का उपयोग किया गया। कवर्धा सहित बेमेतरा और राजनांदगांव जिले से भी फायर ब्रिगेड मंगाया गया।
6 फायर ब्रिगेड से पेड़ों पर बैठे टिडिड्यों पर हमला किया गया। लेकिन जैसे ही पानीयुक्त कीटनाशक की बौछार इन पर पड़ती यह उडऩे लगते। वनांचल क्षेत्र होने के कारण कर्मचारियों को भी काफी मशक्कत करनी पड़ी। करोड़ों टिड्डी 4 से 5 किलोमीटर की क्षेत्र में फैले हुए थे। हर पेड़ पर लाखों टिड्डी, इसके चलते बड़े पेड़ों पर कीटनाशक की बौछार किया गया। कृषि विभाग के मुताबिक 30 प्रतिशत से अधिक टिडिड्यों को खत्म किया गया।
गन्ने की फसल को खतरा
कबीरधाम में फिलहाल अभी बड़ी मात्रा में फसलें नहीं है, लेकिन सब्जी और अन्य उद्यानिकी फसलें जरूर हैं। अभी बड़े पैमाने पर गन्ने की फसल है जो शिशुवस्था में है। साथ ही बड़ी मात्रा में सब्जी लगे हुए हैं। ऐसे में टिडिड्यों के हमले से हजारों एकड़ की में लगे गन्ना, सब्जी और उद्यानिकी फसलों को बर्बाद कर सकते हैं। इससे किसानों को करोड़ों रुपए का नुकसान होगा।
कृषि विज्ञान केंद्र कवर्धा के वरिष्ठ वैज्ञानिकों ने किसानों को विशेष सुझाव दिए हैं कि टिड्डी दल से दिन रात अपने खेतों की निगरानी करते रहे। यदि टिड्डी दल का प्रकोप हो गया तो किसान टोली बनाकर विभिन्न तरह के परंपरागत उपाय जैसे ढोल, डीजे बजाकर, थाली, टीन के डिब्बे से शोर मचाकर, ट्रैक्टर का सायलेंसर निकालकर चलाए, ध्वनि विस्तारक यंत्रों के माध्यम से आवाज कर खेतों से इन्हें भगाया जा सकता है।
हवा की दिशा में बढ़ रहीं टिड्डियां
टिड्डी दल ने राजस्थान होते हुए मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र से होते हुए छत्तीसगढ़ में भी प्रवेश किया। पिछले माह हवा का रूख बदलते ही कोरिया जिले की ओर पहुंच गए। मंगलवार को हवा की दिशा बदली तो टिडिड्यों का दल खारा क्षेत्र के नचनिया में पहुंचा। दूसरे दिन बुधवार खारा में फैला रहा। दोपहर को यह खारा से उड़ चला। अब हवा के रूख पर निर्भर है कि यह करोड़ों टिड्डी किस क्षेत्र की ओर बढ़ेंगे।
रात में कीटनाशक का छिड़काव
टिड्डी दल शाम को 6 से 7 बजे के आसपास जमीन पर बैठ जाता है और फिर सुबह 8-9 बजे के करीब उड़ान भरता है। इसी अवधि में उनके ऊपर शक्ति (ट्रैक्टर) चालित स्प्रेयर की मदद से कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव करके इनको मारा जा सकता है। रसायन के छिड़काव का सबसे उपयुक्त समय रात्रि 11 बजे से सुबह 8 बजे तक होता है।
टिड्डी दल किसानों का सबसे बड़ा शत्रु है। यह लगभग दो से ढाई इंच लम्बा कीट होता है, ेलेकिन लाखों की संख्या में झुण्ड बनाकर पेड़-पौधे व वनस्पतियों को भारी नुकसान पहुंचाते हैं। यह दल 15 से 20 मिनट में आपकी फसल के पत्तियों को पूर्ण रूप से खाकर नष्ट कर सकते हैं। हैरत की बात यह है कि टिड्डियां सभी प्रकार के फसल, फल, वृक्षों के फूल-पत्ते, बीज, पेड़ की छाल और अंकुर सब कुछ खा जाती है। हर एक टिड्डी अपने वजन के बराबर खाना खाती है। यहां तक टिड्डों का झुण्ड एक दिन में लगभग 35 हजार लोगों के बराबर भोजन खा सकता है।
उपसंचालक कृषि विभाग कबीरधाम एमडी डड़सेना ने बताया कि टिडिड्यों पर लगातार नजर रखे हुए हैं। यह कई किलोमीटर क्षेत्र में फैले हुए हैं। छह फायर ब्रिगेड में कीटनाशक घोल से टिडिड्यों को खत्म करने लगातार कोशिश किया गया। 30 प्रतिशत से अधिक टिड्डी खत्म किए जाने का अनुमान है।

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