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नक्सल क्षेत्रों में लोकसभा चुनाव पुलिस और प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती, देखें संवेदनशील मतदान केंद्रों की लिस्ट

locationकवर्धाPublished: Mar 13, 2019 03:13:36 pm

Submitted by:

Deepak Sahu

विधानसभा चुनाव से अपेक्षा लोकसभा चुनाव पुलिस और जिला प्रशासन के लिए और भी चुनौतीपूर्ण होने वाला है

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नक्सल क्षेत्रों में लोकसभा चुनाव पुलिस और प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती, देखें संवेदनशील मतदान केंद्रों की लिस्ट

कवर्धा. विधानसभा चुनाव से अपेक्षा लोकसभा चुनाव पुलिस और जिला प्रशासन के लिए और भी चुनौतीपूर्ण होने वाला है। क्योंकि कबीरधाम जिला माओवादी प्रभावित क्षेत्र बढ़ते जा रहे हैं।

लोकसभा चुनाव की बिगुल बज चुकी है। वहीं चुनाव को लेकर जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन की कवायद भी शुरू हो चुकी है। ट्रेनिंग, प्रचार-प्रसार, आवागमन और मतदान को लेकर प्लानिंग की जा रही है। इसमें प्रमुख कड़ी सुरक्षा को लेकर है। सुरक्षा के लिए जिला पुलिस द्वारा पिछली बार की तरह पैरा मिलीट्री फोर्स के 80 कंपनी की मांग करेगी। हालांकि लोकसभा चुनाव कई राज्यों में एकसाथ है ऐसे में सुरक्षा के लिए पैरा मिलीट्री फोर्स जवानों की संख्या कम हो सकती है। यह बहुत ही बड़ी चुनौती होगी, जिसकी पूर्ति स्थानीय पुलिस बल के जरिए किया जाए। क्योंकि जिले में इस बार कुल 298 अतिसंवदेनशील और संवेदनशील मतदान केंद्र हैं।

दो माओवाद प्रभावित केंद्र बढ़े
जिले के दोनों विधानसभा क्षेत्र में कुल 298 संवेदनशील और अतिसंवेदनशील मतदान केंद्र हैं। इसमें सबसे प्रमुख माओवादी प्रभावित मतदान केंद्र हैं, जिसकी संख्या 102 हो चुकी है, जबकि विधानसभा चुनाव के समय 100 थे। अभी 56 अतिसंवेदनशील और 46 संवेदनशील मतदान केंद्र हैं। इसमें कवर्धा विधानसभा अंतर्गत 84 मतदान केंद्र हैं। वहीं पंडरिया विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत 18 मतदान केंद्र ही संवेदनशील व अतिसंवेदशील हैं।

एक नजर में….

विवरणपंडरियाकवर्धाकुल
अतिसंवेदनशील(माओवाद)74956
संवेदनशील(माओवाद)113546
राजनीतिक संवेदनशील10789196
सामान्य मतदान केंद्र268236504
कुल393409802

संवेदनशील केंद्र कम
माओवाद प्रभावित संवेदनशील केंद्रों की तरह राजनीतिक संवेदनशील मतदान केंद्रों की भी सुरक्षा आवश्यक है। जिले में इस बार 196 राजनीतिक संवेदनशील मतदान केंद्र हैं, जबकि विस चुनाव 2018 के समय 323 थे।

कबीरधाम के पुलिस अधीक्षक डॉ. लाल उमेंद सिंह ने बताया कि केंद्र से पिछली बार जितनी ही कंपनी की मांग की जाएगी। कई राज्यों मे चुनाव है। ऐसे में हो सकता है कि कंपनी में कुछ कमी आ जाए, लेकिन हमारे पास पर्याप्त बल है।

कई तरह की दिक्कतें
माओवादी प्रभावित क्षेत्र में कई तरह की दिक्कतें आती है। मुख्य रूप से चुनावी जागरुकता अभियान, प्रत्याशी द्वारा प्रचार-प्रसार, सभा आयोजन, कार्यकर्ताओं द्वारा घर-घर जाकर प्रचार को लेकर परेशानी होती है। हालांकि अब तक चुनाव में किसी तरह की वारदात सामने नहीं, लेकिन इसका यह मतलब नहीं सुरक्षा में लापरवाही हो। इसके लिए जिला पुलिस पूरी तरह से सक्षम व तैयार है।

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