इसलिए राजनांदगांव लोकसभा सीट को पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह किसी भी हालत में हाथ से जाने नहीं देना चाहते। कवर्धा जब राजनांदगांव जिले में शामिल था तो कवर्धा से ही वर्ष 1990 व 1993 में डॉ. सिंह दो बार विधायक रहे। वहीं राजनांदगांव लोकसभा सीट से वह 1999 में कांग्रेस के दिग्गज नेता मोतीलाल बोरा को हराकर सांसद बने। यहीं से उनकी किस्मत भी बदली। वर्ष 1998 में कवर्धा विधानसभा चुनाव में हार के बाद डॉ.सिंह सांसद बने, जिसके बाद उन्हें केंद्रीय मंत्री बनाया गया। इसके बाद प्रदेश की कमान मिली और विधायक न रहते हुए भी मुख्यमंत्री बने। बाद में डोंगरगांव की सीट खाली कराकर चुनाव लड़े और जीते। इसलिए राजनांदगांव लोकसभा सीट डॉ. सिंह के लिए महत्वपूर्ण हैं।
वहीं दूसरी ओर विधानसभा चुनाव में कमजोर प्रदर्शन के बाद पार्टी ने डॉ. सिंह पर भरोसा जताया है तभी तो उनके गृहजिले से प्रत्याशी चयन किया गया। सामान्य स्थिति में अधिक विधानसभा क्षेत्र वाले राजनांदगांव जिले से प्रत्याशी चयन किया जाता, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। मतलब काफी सोच विचार कर ही प्रत्याशी चयन का निर्णय लिया गया।
पाण्डेय वर्ष 2000 में कवर्धा मंडी अध्यक्ष चुने गए। हालांकि कुछ सालों बाद समिति भंग हो गई। वहीं संघ से जुड़े होने के कारण इन्हें वर्ष 2003 में बीरेन्द्रनगर से भाजपा से टिकट मिला, जिसमें मोहम्मद अकबर जीत गए। संतोष पाण्डेय पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के भी खास माने जाते हैं। इसके चलते ही पिछले वर्ष विकास यात्रा का प्रदेश प्रभारी पाण्डेय को ही बनाया गया था।