scriptसिलेण्डर होने के बाद भी चूल्हे में बना रहे बच्चों का मध्याह्न भोजन | Midday Meals for Children Made in the Stove Even after being Cylinder | Patrika News

सिलेण्डर होने के बाद भी चूल्हे में बना रहे बच्चों का मध्याह्न भोजन

locationकवर्धाPublished: Nov 29, 2018 05:35:45 pm

Submitted by:

Panch Chandravanshi

ग्राम बीजाझोरी में प्राथमिक शाला संचालित हो रहा है। जहां बच्चों के मध्यान्ह भोजन भी बनाया जाता है। समूह को गैस सिलेण्डर भी उपलब्ध कराया गया है, लेकिन यहां गैस सिलेण्डर से नहीं, बल्कि चुल्हे में लकड़ी व कड्डा चलाकर भोजन पका रही है।

Mid-day meals prepared in the stove

Mid-day meals prepared in the stove

कवर्धा. गृहणों को धुंए से मुक्ति मिल सके। इस उद्देश्य से उज्ज्वला योजना अंतर्गत गरीब परिवार को गैस चुल्हा व सिलेण्डर उपलब्ध कराया गया। वहीं स्कूलों में भी बच्चों के लिए मध्यान्ह भोजन बनाने के लिए गैस सिलेण्डर उपलब्ध कराया गया, लेकिन कई स्कूल में समूह की मनमानी देखने को मिल रहा है। गैस सिलेण्डर होने के बाद भी चुल्हे से चुल्हे से भोजन पका रहे हैं। मामला प्राथमिक शाला बीजाझोरी की है।
विकासखंड कवर्धा अंतर्गत ग्राम बीजाझोरी में प्राथमिक शाला संचालित हो रहा है। जहां बच्चों के मध्यान्ह भोजन भी बनाया जाता है। समूह को गैस सिलेण्डर भी उपलब्ध कराया गया है, लेकिन यहां गैस सिलेण्डर से नहीं, बल्कि चुल्हे में लकड़ी व कड्डा चलाकर भोजन पका रही है। इससे उठने वाले धुंए से बच्चों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में रसोईयां चुल्हे में लकड़ी व कड्डा जलाकर भोजना बनाने को मजबूर है। यहां के चूल्हे से भोजन बनाने वाली महिलाएं बेहद परेशान हैं। चूल्हे से उठता धुआं किचन शेड में भर जाता है, जिसके चलते मध्यान्ह भोजन बनाने वाली महिलाओं का दम घुटने लगता है।
हजार रुपए पार हो चुका गैस सिलेण्डर का दाम
स्कूलों में बच्चों के लिए मध्यान्ह भोजन के लिए गैस सिलेण्डर उपलब्ध कराया गया है, लेकिन ज्यादातर स्कूलों में इसका उपयोग नहीं होता। रसोईए चुल्हे में बच्चों के लिए भोजन बनाती है। इसके पीछे एक कारण महंगाई को भी माना जा रहा है। क्योंकि इन दिनों गैस सिलेण्डर का कीमत हजार रुपए पार हो चुका है। ऐसे में मध्यान्ह भोजन बनाने वाले समूह गैस सिलेण्डर भराने के बजाए चुल्हे से ही बच्चों के लिए भोजन बनाती है। वहीं दूसरा कारण जिम्मेदारों का स्कूलों में मॉनिटरिंग न होना है। समय समय पर स्कूलों का मॉनिटरिंग नहीं किए जाने के कारण स्व. सहायता समूह अपने मनमर्जी पूर्वक योजना का जैसे तैसे संचालित कर रहा है। वहीं इस संबंध में बच्चों के लिए भोजन बना रही रसोईया का कहना है कि स्कूल में बच्चों की दर्ज संख्या कम है। इसके चलते गैस सिलेण्डर का उपयोग न कर चुल्हे भोजन बना रहे।
आंगनबाड़ी केन्द्रों का भी यहीं हाल
छोटे बच्चों के प्राथमिक शिक्षा व पोषण आहार मिल सके। इसके लिए आंगनबाड़ी केन्द्र का संचालन किया जा रहा है, लेकिन यहां बच्चे धुएं से काफी परेशान रहते हैं। क्योंकि ज्यादातर आंगनबाड़ी केन्द्र में चुल्हे का इस्तेमाल किया जाता है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बच्चे केन्द्र में पूरा समय नहीं रहते हैं। भोजन बनाते वक्त उठाने वाले से परेशान होकर समय पहले ही आंगनबाड़ी केन्द्र छोड़ देते हैं। इसके कारण काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन इस ओर जिम्मेदार कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं।
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