स्कूलों में बच्चों के लिए मध्यान्ह भोजन के लिए गैस सिलेण्डर उपलब्ध कराया गया है, लेकिन ज्यादातर स्कूलों में इसका उपयोग नहीं होता। रसोईए चुल्हे में बच्चों के लिए भोजन बनाती है। इसके पीछे एक कारण महंगाई को भी माना जा रहा है। क्योंकि इन दिनों गैस सिलेण्डर का कीमत हजार रुपए पार हो चुका है। ऐसे में मध्यान्ह भोजन बनाने वाले समूह गैस सिलेण्डर भराने के बजाए चुल्हे से ही बच्चों के लिए भोजन बनाती है। वहीं दूसरा कारण जिम्मेदारों का स्कूलों में मॉनिटरिंग न होना है। समय समय पर स्कूलों का मॉनिटरिंग नहीं किए जाने के कारण स्व. सहायता समूह अपने मनमर्जी पूर्वक योजना का जैसे तैसे संचालित कर रहा है। वहीं इस संबंध में बच्चों के लिए भोजन बना रही रसोईया का कहना है कि स्कूल में बच्चों की दर्ज संख्या कम है। इसके चलते गैस सिलेण्डर का उपयोग न कर चुल्हे भोजन बना रहे।
छोटे बच्चों के प्राथमिक शिक्षा व पोषण आहार मिल सके। इसके लिए आंगनबाड़ी केन्द्र का संचालन किया जा रहा है, लेकिन यहां बच्चे धुएं से काफी परेशान रहते हैं। क्योंकि ज्यादातर आंगनबाड़ी केन्द्र में चुल्हे का इस्तेमाल किया जाता है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बच्चे केन्द्र में पूरा समय नहीं रहते हैं। भोजन बनाते वक्त उठाने वाले से परेशान होकर समय पहले ही आंगनबाड़ी केन्द्र छोड़ देते हैं। इसके कारण काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन इस ओर जिम्मेदार कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं।