लेबर कानून का होता है खुला उन्लंघन
इन उद्योगों में काम करने वाले लेबरों का फेक्ट्री संचालक के साथ न तो कोई एग्रीमेंट होता है न ही किसी भी प्रकार का लेबर एक्ट के तहत बीमा कराया जाता है। अधिकांश लेबर राज्य के बाहर से लाए जाते हैं। इसके बाद भी फैक्ट्री संचालक इन मजदूरों का रिकार्ड थाने में जमा नहीं करते हैं। इस तरह आराध को बढ़ावा दे रहा है। इसका फायदा आपराधिक प्रवृत्ती के लोग उठाते हैं। लेबर के वेश में आकर अपने मनशूबे को पूरा कर जाते हैं। ऐसे में आपराधिक मामला सामने आए तो पुलिस के सामने मुश्किले खड़ी हो सकती है।
इन उद्योगों में काम करने वाले लेबरों का फेक्ट्री संचालक के साथ न तो कोई एग्रीमेंट होता है न ही किसी भी प्रकार का लेबर एक्ट के तहत बीमा कराया जाता है। अधिकांश लेबर राज्य के बाहर से लाए जाते हैं। इसके बाद भी फैक्ट्री संचालक इन मजदूरों का रिकार्ड थाने में जमा नहीं करते हैं। इस तरह आराध को बढ़ावा दे रहा है। इसका फायदा आपराधिक प्रवृत्ती के लोग उठाते हैं। लेबर के वेश में आकर अपने मनशूबे को पूरा कर जाते हैं। ऐसे में आपराधिक मामला सामने आए तो पुलिस के सामने मुश्किले खड़ी हो सकती है।
खरीदी-बिक्री नहीं, 11 कर्मचारी कार्यरत
पंडरिया मंडी को शासन द्वारा सोसायटी के माध्यम से धान खरीदी का करोड़ों रुपए मंडी टेक्स के रूप में मिलता है, जिसका 50 प्रतिशत मंडी के कर्मचारियों का तनख्वा आदि के लिए जमा रहती है। वही 50 प्रतिशत राज्य मंडी बोर्ड को जमा होता है। इसमे 30 प्रतिशत मंडी के रख-रखाव के लिए वापस दिया जाता है। पंडरिया मंडी में आज की स्तिथि में किसी भी प्रकार का कोई खरीदी-बिक्री नहीं होती है, लेकिन फिर भी 11 कर्मचारियों वहां पदस्त है, जिसमे से अधिकांश का कोई काम नहीं रहता। प्रति माह कर्मचारियों को बराबर तनख्वा भी मिल रहा है। वही मंडी सचिव भी रायपुर से हफ्ते में एक या दो दिन ही मंडी में पहुंचते है। वहीं फिल्ड में सर्वे करने वाले, पर्ची कांटने वाले कर्मचारी पंडरिया मंडी क्षेत्र में संचालित मिल उद्योग और व्यापारियों से टेक्स नहीं काटने के नाम पर सेटिंग कर अवैध उगाही करते देखे जा सकते हैं।
पंडरिया मंडी को शासन द्वारा सोसायटी के माध्यम से धान खरीदी का करोड़ों रुपए मंडी टेक्स के रूप में मिलता है, जिसका 50 प्रतिशत मंडी के कर्मचारियों का तनख्वा आदि के लिए जमा रहती है। वही 50 प्रतिशत राज्य मंडी बोर्ड को जमा होता है। इसमे 30 प्रतिशत मंडी के रख-रखाव के लिए वापस दिया जाता है। पंडरिया मंडी में आज की स्तिथि में किसी भी प्रकार का कोई खरीदी-बिक्री नहीं होती है, लेकिन फिर भी 11 कर्मचारियों वहां पदस्त है, जिसमे से अधिकांश का कोई काम नहीं रहता। प्रति माह कर्मचारियों को बराबर तनख्वा भी मिल रहा है। वही मंडी सचिव भी रायपुर से हफ्ते में एक या दो दिन ही मंडी में पहुंचते है। वहीं फिल्ड में सर्वे करने वाले, पर्ची कांटने वाले कर्मचारी पंडरिया मंडी क्षेत्र में संचालित मिल उद्योग और व्यापारियों से टेक्स नहीं काटने के नाम पर सेटिंग कर अवैध उगाही करते देखे जा सकते हैं।
किसान को नहीं मिलता लाभ
गुड उद्योग संचालक अधिक लाभ कमाने के फिराक में नियमों की धज्जियां उड़ाते है, इसके चलते गुड उद्योग संचालक तो मालामाल हो रहा है, लेकिन इसका लाभ किसानों को नहीं मिल पता। आवक के हिसाब से गन्ने का कीमत कम-ज्यादा करते रहते हैं। इसके बाद भी किसान मज़बूरीवश अपना गन्ना गुड उद्योगों को दे रहे हैं। इसका मुख्य कारण शक्कर कारखाना में किसानों को जारी किए जाने वाले पर्ची सीमित किया जाना व शेयरधारकों प्राथमिकता देना है। पंडरिया कृषि उपज मंडी के सचिव कन्हैया लाल गोहिया ने बताया कि हमारे द्वारा गुड उद्योग संचालको को नोटिस दिया गया है। लेकिन अब तक किसी ने लायसेंश नहीं लिया है और न ही गन्ना खरीदी शुल्क जमा किया है। अगर ऐसा ही रहा तो आने वाले दिनों में कार्रवाई किया जाएगा।
गुड उद्योग संचालक अधिक लाभ कमाने के फिराक में नियमों की धज्जियां उड़ाते है, इसके चलते गुड उद्योग संचालक तो मालामाल हो रहा है, लेकिन इसका लाभ किसानों को नहीं मिल पता। आवक के हिसाब से गन्ने का कीमत कम-ज्यादा करते रहते हैं। इसके बाद भी किसान मज़बूरीवश अपना गन्ना गुड उद्योगों को दे रहे हैं। इसका मुख्य कारण शक्कर कारखाना में किसानों को जारी किए जाने वाले पर्ची सीमित किया जाना व शेयरधारकों प्राथमिकता देना है। पंडरिया कृषि उपज मंडी के सचिव कन्हैया लाल गोहिया ने बताया कि हमारे द्वारा गुड उद्योग संचालको को नोटिस दिया गया है। लेकिन अब तक किसी ने लायसेंश नहीं लिया है और न ही गन्ना खरीदी शुल्क जमा किया है। अगर ऐसा ही रहा तो आने वाले दिनों में कार्रवाई किया जाएगा।