कवर्धा

बगैर लायसेंस के चल रहा जिले में संचालित ज्यादातर गुड उद्योग

कृषि उपज मंडी पंडरिया क्षेत्र के अंतर्गत 123 गुड़ उद्योग संचालित हो रहे हैं, जिसमे एक दो भट्ठे वाले छोटे उद्योगों से लेकर 20 से 25 भटठी वाले बड़ी फैक्ट्री शामिल है। उन उद्योगों द्वारा प्रति वर्ष सैकड़ों टन गन्ना खरीदी की जाती है।

कवर्धाDec 22, 2018 / 11:26 am

Panch Chandravanshi

Good industry running without licensing

पांडातराई. जिले में जितने भी गुड उद्योग संचालित हो रहा है। उनमें से अधिकांश गुड उद्योग संचालक नियमों को ताक पर रखकर अपना कारोबार बेधड़क चला रहे हैं। वहीं जिम्मेदार हाथ पर हाथ धरे बैठे हुए हैं।
कृषि उपज मंडी पंडरिया क्षेत्र के अंतर्गत 123 गुड़ उद्योग संचालित हो रहे हैं, जिसमे एक दो भट्ठे वाले छोटे उद्योगों से लेकर 20 से 25 भटठी वाले बड़ी फैक्ट्री शामिल है। उन उद्योगों द्वारा प्रति वर्ष सैकड़ों टन गन्ना खरीदी की जाती है। गुड उद्योग संचालित करने के लिए कुछ नियम व कानून निर्धारित है, जिसके अंतर्गत गुड उद्योग लगाने के पूर्व मंडी से लायसेंस लेना पड़ता है, जिसके लिए 5000 रुपर शुल्क निर्धारित है। इसके अलावा 5000 प्रसंस्करण शुल्क व गन्ने की खरीदी पर 1.20 प्रतिशत मंडी टेक्स छत्तीसगढ़ मंडी अधिनियम के तहत लगाया जाता है, लेकिन अधिकारियो के उदासीनता व मिलीभगत कर आज तक किसी भी गुड उद्योग का न तो लायसेंस बनाया गया है न ही किसी भी गुड उद्योग से कोई टेक्स वसूल किया गया है। इसके चलते मंडी कंगाल हो रही है। वहीं अधिकारी कर्मचारी मालामाल हो रहे हैं।
लेबर कानून का होता है खुला उन्लंघन
इन उद्योगों में काम करने वाले लेबरों का फेक्ट्री संचालक के साथ न तो कोई एग्रीमेंट होता है न ही किसी भी प्रकार का लेबर एक्ट के तहत बीमा कराया जाता है। अधिकांश लेबर राज्य के बाहर से लाए जाते हैं। इसके बाद भी फैक्ट्री संचालक इन मजदूरों का रिकार्ड थाने में जमा नहीं करते हैं। इस तरह आराध को बढ़ावा दे रहा है। इसका फायदा आपराधिक प्रवृत्ती के लोग उठाते हैं। लेबर के वेश में आकर अपने मनशूबे को पूरा कर जाते हैं। ऐसे में आपराधिक मामला सामने आए तो पुलिस के सामने मुश्किले खड़ी हो सकती है।
खरीदी-बिक्री नहीं, 11 कर्मचारी कार्यरत
पंडरिया मंडी को शासन द्वारा सोसायटी के माध्यम से धान खरीदी का करोड़ों रुपए मंडी टेक्स के रूप में मिलता है, जिसका 50 प्रतिशत मंडी के कर्मचारियों का तनख्वा आदि के लिए जमा रहती है। वही 50 प्रतिशत राज्य मंडी बोर्ड को जमा होता है। इसमे 30 प्रतिशत मंडी के रख-रखाव के लिए वापस दिया जाता है। पंडरिया मंडी में आज की स्तिथि में किसी भी प्रकार का कोई खरीदी-बिक्री नहीं होती है, लेकिन फिर भी 11 कर्मचारियों वहां पदस्त है, जिसमे से अधिकांश का कोई काम नहीं रहता। प्रति माह कर्मचारियों को बराबर तनख्वा भी मिल रहा है। वही मंडी सचिव भी रायपुर से हफ्ते में एक या दो दिन ही मंडी में पहुंचते है। वहीं फिल्ड में सर्वे करने वाले, पर्ची कांटने वाले कर्मचारी पंडरिया मंडी क्षेत्र में संचालित मिल उद्योग और व्यापारियों से टेक्स नहीं काटने के नाम पर सेटिंग कर अवैध उगाही करते देखे जा सकते हैं।
 

 

किसान को नहीं मिलता लाभ
गुड उद्योग संचालक अधिक लाभ कमाने के फिराक में नियमों की धज्जियां उड़ाते है, इसके चलते गुड उद्योग संचालक तो मालामाल हो रहा है, लेकिन इसका लाभ किसानों को नहीं मिल पता। आवक के हिसाब से गन्ने का कीमत कम-ज्यादा करते रहते हैं। इसके बाद भी किसान मज़बूरीवश अपना गन्ना गुड उद्योगों को दे रहे हैं। इसका मुख्य कारण शक्कर कारखाना में किसानों को जारी किए जाने वाले पर्ची सीमित किया जाना व शेयरधारकों प्राथमिकता देना है। पंडरिया कृषि उपज मंडी के सचिव कन्हैया लाल गोहिया ने बताया कि हमारे द्वारा गुड उद्योग संचालको को नोटिस दिया गया है। लेकिन अब तक किसी ने लायसेंश नहीं लिया है और न ही गन्ना खरीदी शुल्क जमा किया है। अगर ऐसा ही रहा तो आने वाले दिनों में कार्रवाई किया जाएगा।

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