किसी भी व्यक्ति के लिए के लिए दृष्टिहीन होना उसके लिए कितना कठिन हो सकता है ये आप सिर्फ कुछ पलों के लिए अपनी आँखे बंद कर के ही लगा सकते है।दुनिया में ऐसे करीब करोड़ों लोग है जो पूरी तरह से दृष्टिहीन है।
राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा हर साल 25 अगस्त से 8 सितम्बर तक आयोजित किया जाता है। इस अभियान में नेत्र दान के महत्त्व के बारे में जागरूक करना और मृत्यु के बाद अपनी आखें दान करने के लिए प्रेरित करता है। ऐसा ही एक मामला छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले के बोड़ला विकासखंड के ग्राम कुसुमघटा का है जहां एक मां के निधन के बाद उनकी आखें दान की गई , ताकि कोई और उनकी नज़रों से दुनिया देख सके।
खोरबहरीन वर्मा काफी वृद्ध हो चुकी थी, तीन दिन पूर्व ही उसकी मौत हो गई। ऐसे में उनके निधन के तुरंत बाद परिवार के सदस्यों की अच्छी सोच के चलते उनकी आंखों को दान करने का निर्णय लिया। भीषम वर्मा ने अपनी मां के नेत्रदान के लिए डॉक्टर से संपर्क किया। जिला टीम में नेत्र सर्जन डॉ. उषा सिंह, नेत्र सहायक मनीष जॉय द्वारा ग्राम कुसुमघटा जाकर रात में नेत्रों को सुरक्षित निकालकर कवर्धा लाया और उसे नेत्र बैंक मेडिकल कॉलेज भेज दिया गया। वहां से जरूरतमंद लोगों को आंखे दी जाएगी।