दो दिनों में ही 20 टन हरी शिमला मिर्च काठमांडू के व्यापारी खरीद चुके हैं, जबकि इसकी डिमांड झारखंड, बिहार, दिल्ली, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश सहित कई राज्यों में भी बनी हुई है। अब तक खेतों से प्रति एकड़ 260-265 क्विंटल शिमला मिर्च निकल चुका है। जबकि अंतिम तोड़ान बाकी है। अंतिम तोड़ान में 350 से 400 क्विंटल प्रति एकड़ शिमला मिर्च निकलेगा, जिसमें से अधिकतर मिर्च काठमांडू भेजा जाएगा। किसान जायसवाल ने बताया कि प्रति एकड़ शिमला मिर्च का उत्पादन पर खर्च 2 से 3 लाख रुपए प्रति एकड़़ आता है जबकि मुनाफा बाजार मूल्य के आधार पर मिलता है। दाम बेहतर रहा तो दो गुना अन्यथा डेढ़ गुना मुनाफा होता ही है।
शिमला मिर्च के साथ ही जिले में बेहतर सब्जी उत्पादन होता है। चाहे वह तरबूज हो या खरबूज, करेला, टमाटर, गोभी, केला सहित अन्य तमाम तरह की सब्जी। इसका मुख्य कारण यहां का अनुकूल वातावरण है। जिला चारों ओर से पहाडिय़ों व जंगलों से घिरा हुआ है जिसके कारण यहां पर पर्याप्त मात्रा में नमी बनी रहती है। वहीं यहां की मिट्टी में अत्यधिक जलधारण क्षमता है जिसके कारण बार-बार पानी सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती। वहीं जिले में सब्जी उत्पादन की मात्रा कम है जिसके कारण कीट व्याधि का प्रकोप भी कम है जिससे अधिक उत्पादन होता है।