इस साल भी बोवनी के बाद उम्मीद से कम बारिश होने से धरतीपुत्र असमंजस की स्थिति में हैं। बोवनी के बाद से लेकर अब तक खरीफ फसल को जरूरत के अनुरूप पानी नहीं मिलने के कारण फसल मुरझाने लगे हैं। वहीं धरतीपुत्र किसानों को फसल बचाने की चिंता सताने लगी है। मौसम (weak rain) की दगाबाजी के कारण इस बार भी आषाढ़ के अंतिम दिनों में बदरा नहीं बरसने से किसानों की दुविधा बढ़ती जा रही है। इसके चलते किसानों को अब फसल बचाने की चिंता सताने लगी है। पिछले दो-तीन वर्षों से धान की फसल खंड वर्षा के चलते खराब होते रहे हैं।
इस वर्ष भी किसान शुरुआती दौर में अल्प वर्षा की चपेट से अब तक राहत मिली नहीं है। इस साल लोग अच्छी बारिश के साथ अच्छे उत्पादन की कयास लगा रहे थे, लेकिन मौसम की दगाबाजी के चलते किसान इस वर्ष भी धान की बुवाई के प्रारंभ से ही पानी के लिए तरसते रहे। अच्छी बारिश की आस में किसान ने कम बारिश के साथ ही जैसे तैसे धान की बुवाई तो कर दी, लेकिन बोनी के बाद अब तक पर्याप्त बारिश नहीं हो पाई है।
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