जहां मां जानकीवन तालाब किनारे इमली पेड़ के शीतल छाए में विराजमान है। मां जानकीवन मुख्य मंदिर के अलावा यहां भगवान भोलेनाथ और भी मंदिर है। आसपास के ग्रामीण प्रतिदिन मां जनकीवन व भगवान भोलेनाथ के दर्शन के लिए पहुंचते हैं, जिस दिन हम लोग पहुंचे थे उस दिन भी काफी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचे थे। अन्य श्रद्धालुओं के साथ हमने भी मां जनकीवन की दर्शन किए। वहीं मंदिर के दूसरे छोर पर ज्योति कलश प्रज्जवलि कक्ष है। जहां चैत्र व क्वांर नवरात्र में मनोकामना ज्योति प्रज्ज्वलित होती है। यहां की शांत व शीतल वातावरण काफी शुकुनदायक रहा। आपकों बता दे कि मां जानकीवन मंदिर ग्राम चचेड़ी, फांदातोड़, सिंघनपुरी व बिपतरा, कुंआ के शहरद यानि बीच खार में विराजमान है।
मां जानकीवन के प्रति आसपास के ग्रामीणों में गहरी आस्था है, लेकिन यहां तक पहुंचने आसान नहीं है। कच्ची व पगडंडी मार्ग से होते हुए यहां तक पहुंचा जा सकता है। मंदिर पहुंचने से कुछ दूर पहले ही कच्ची रास्त खत्म हो जाता है। इसके बाद पैदल ही जाना पड़ता है। वहीं बरसात के दिनों में मंदिर तक पहुंचने के लिए खेतों के मेड़ का सहारा लेना पड़ता है, जो श्रद्धालुओं के आस्था पर गहरी चोट पहुंचा रहा है।
वर्षों पहले मां जानकीवन तालाब किनारे इमली पेड़ के नीचे विराजमान रहा। धीरे धीरे ग्रामीणों की आस्था बढ़ती गई। इसके बाद जनसहयोग से मंदिर का निर्माण किया गया। वहीं अलग-अलग समाज के लोगों ने आर्थिक सहयोग से शिव मंदिर का निर्माण कराया। आसपास के ग्रामीण मां जानकीवन को धार्मिक स्थल के रुप में विकसित कराना चाहते हैं, लेकिन प्रशासन की ओर सहयोग नहीं मिल पा रहा है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है यहां तक पहुंचने के लिए सुलभ मार्ग भी नहीं है। इसके चलते धार्मिक स्थल का विकास नहीं हो पाया है। इससे गांव सहित आसपास के गांव के लोगो में नाराजगी है।