scriptअब प्रशासन की पहल से ग्रामीणों को कुंआ से मिलने लगी पेयजल | Now the initiative of the administration to provide drinking water to | Patrika News

अब प्रशासन की पहल से ग्रामीणों को कुंआ से मिलने लगी पेयजल

locationकवर्धाPublished: May 30, 2019 12:01:10 pm

Submitted by:

Panch Chandravanshi

पुरानी कुआ का सफाई कराया, गिट्टी, ईंट से जोड़ाई कराने के बाद अंदर मोटर पंप फिट किया। पाइप लाइन बिछाई गई। तीन दिन की कड़ी मशक्कत के बाद अब यहां के लोगों को पानी मिलना प्रारंभ हो गया है।

Drinking water from well

Drinking water from well

नेऊर. प्यास बुझाने के लिए ऐसी विवशता कि लोगों को पेड़ की टहनियों का सहारा लेना पड़ रहा है। गर्मी के चार माह वनांचल के लोगों को पानी के एक-एक बूंद के लिए मशक्कत करनी पड़ती है, तब कही जाकर अपना प्यास बूझा पाते हैं, लेकिन अब प्रशासन के पहल से यहां निवासरत लोगों को कुछ राहत मिलेगा।
ग्राम बासाटोला में पानी की समस्या को देखते हुए कुछ दिन पहले प्रशासन ने बोर खनन के लिए गाड़ी तो भेजा। एक दो जगह खनन भी किए, लेकिन छोटी गाड़ी जाने के कारण पानी नहीं आया। 20 से ४० फीट खोदाई के बाद वापस लौट गए। अब प्रशासन द्वारा पुरानी कुआ का सफाई कराया, गिट्टी, ईंट से जोड़ाई कराने के बाद अंदर मोटर पंप फिट किया। पाइप लाइन बिछाई गई। तीन दिन की कड़ी मशक्कत के बाद अब यहां के लोगों को पानी मिलना प्रारंभ हो गया है। पेयजल समस्या से परेशान मोहन बैगा, अमरलाल, सुख सिंग सहित अन्य ग्रामीणों ने प्रशासन की इस पहल से काफी उत्साहित है। क्योंकि उसे मालूम है कि अब तक लोगों को अपनी प्यास बूझाने के लिए कितनी मशक्कत करना पड़ रहा था। अब लोगों को पेयजल सहित निस्तारी के लिए पानी उपलब्ध होने लगा है।
एक बूंद को सहेजते रहे
वनांचल क्षेत्र साल व सागोन वृक्षों से घिरा हुआ है, गर्मी के मौसम में साल वृक्ष के टहनियों से पानी रिस्ता है। वनांचल के बैगा आदिवासी पेड़ों से रिस्ते एक-एक बूंद को एकत्रित कर अपना प्यास बूझाते हैं। ग्राम पंचायत कांदावानी के आश्रित गांव बासाटोला में निवासरत लोग पिछले कई वर्षों से झिरिया का पानी पीने मजबूर था। साथ ही लोगों को पानी के एक-एक बूंद को सहेजना पड़ता है।
ग्रामीणों को अब मिलेगी राहत
पेयजल आपूर्ति के लिए गांव में एक ही हैण्डपंप है, लेकिन वह भी गर्मी प्रारंभ होते ही यानि जनवरी में बंद हो जाता है। पेयजल के लिए यहां के लोगों को खासे दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। हैण्डपंप बंद होते ही लोगों को या तो झिरिया के पानी से प्यास बूझाना पड़ता है या फिर पेड़ के टहनी से रिस्ते पानी के एक-एक बूंद से। बाल्टी भर पानी के लिए लोगों को घंटों इंतजार करना पड़ता है। कुआ के नवीनीकरण के बाद मोटर पंप से पानी आपूर्ति होने से अब ग्रामीणों को राहत मिलेगा।
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