धान परिवहन ट्रकों को ओवरलोड की खुली छूट, हादसों के साथ सडक़ें भी जर्जर
ट्रकों में क्षमता से ज्यादा धान ढुलाई से न सिर्फ सडक़ें दम तोड़ रहीं है, बल्कि हादसों की भी आशंका है।

कवर्धा. धान परिवहन में लगे ट्रकों को ओवरलोड की खुली छूट है। ट्रांसपोटर्स व मिलर्स यातायात नियमों को ठेंगे पर रखकर धान उठा रहे हैं। ट्रकों में क्षमता से ज्यादा धान ढुलाई से न सिर्फ सडक़ें दम तोड़ रहीं है, बल्कि हादसों की भी आशंका है।
जिले के 80 उपार्जन केंद्रों में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी जा रही है। ताबड़तोड़ खरीदी के कारण केंद्रों में धान जाम हो गया है। जिला विपणन विभाग ने धान उठाने के लिए जिले के 46 मिलर्स से समझौता किए हैं। केंद्रों से धान उठाने व संग्रहण केंद्र बाजार चारभाठा और डबराभाट में परिवहन को लेकर 150 ट्रकों का उपयोग किया जा रहा है। धान परिवहन में लगे ट्रकों द्वारा यातायात नियमों को ताक पर रखकर परिवहन किया जा रहा है। 16 टन भार क्षमता वाले ट्रकों में भी 25 से 30 टन धान लादकर संग्रहण केंद्र तक पहुंचाया जा रहा है।
ग्रामीण सडक़ों का निकाल रहे दम
रोजाना कई ट्रिप धान ट्रकों में ओवरलोड भरकर ग्रामीण सडक़ों पर धड़ल्ले से दौड़ा रहे हैं। ओवरलोड ट्रकों की पहियों से खुरच-खुरच कर ग्रामीण सडक़ें आधी हो गई है। हालात इतने बुरे हो चुके हैं कि अब ये ग्रामीण सडक़ें दम तोडऩे लगी हैं। यह सब खुलेआम हो रहा है। बावजूद इसके सरकारी नुमाइंदों ने अपनी आंखों में काली पट्टी बांध रखी है, जिसके चलते उन्हें कुछ नजर नहीं आ रहा है।
हमें तो टैक्स से मतलब
बेलगाम भारी वाहनों पर लगाम कसने के लिए यहां परिवहन विभाग तो है, लेकिन विभागीय अधिकारियों ने अपना कामकाज सिर्फ दफ्तरों तक ही सीमित कर रखा है। वाहनों में धान का भार चाहे जितना भी हो, विभाग को तो सिर्फ टैक्स वसूली से मतलब है। यहां पदस्थ अधिकारियों को सडक़ों पर कार्रवाई करते शायद ही किसी ने देखा हो। हां इतना जरूर है कि यदि कोई दफ्तर में काम लेकर पहुंचे, तो उसे लंबे-चौड़े नियम जरूर गिनाए जाते हैं। लेकिन ध्यान नहीं दिया जाता है।
अधिकारियों के सामने से निकल रहे
शहर में ही वाहन चालक प्रशासन को ठेंगा दिखाते हुए शहर के भीतर से ही अधिकारियों के सामने से ही ओवरलोड वाहन पार हो रहे हैं। इसके बाद भी कोई इन ओवरलोड वाहनों को रोकने की जहमत नहीं करता है। शहर में इस प्रकार के भारी वाहन के गुजरने से बड़ा हादसा होने का भी डर बने रहता है। इसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। जबकि आए दिन हादसे हो रहे हैं।
सडक़ों पर दोगुना भार
जिले के लगभग सभी उपार्जन केंद्र गांवों में संचालित हैं। लोगों को सुविधा मुहैया कराने गांव में मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री योजनांतर्गत पक्की सडक़ें बनाई गई हैं, जो केवल 12 टन भार सहने वाले हैं। धान परिवहन में लगे ट्रक मालिक, मिलर्स व विभिन्न सरकारी विभाग भी इस बात से अच्छी तरह वाकिफ हैं। आमतौर पर एक ट्रक में अंडरलोड का मतलब करीब 12 टन होता है, जो ट्रकों के भार के साथ जुड़ा होता है। बावजूद इसके इन ट्रकों में 25 से 30 टन वजनी धान ढुलाई की जा रही है।
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