scriptबिजली के बगैर सोलर पैनल से कर ली 22 एकड़ में पपीते की खेती | Paddy cultivation of 22 acres of land without solar power | Patrika News

बिजली के बगैर सोलर पैनल से कर ली 22 एकड़ में पपीते की खेती

locationकवर्धाPublished: Feb 06, 2019 02:10:40 pm

Submitted by:

Panch Chandravanshi

इंदौरी. जन्म से दोनों पैर नि:शक्त और चलने में असहाय। अगर बमुश्किल कुछ कदम चल भी पाता है तो हाथ पैर के सहारे। लेकिन हौसले इतने मजबूत है कि दुसरे के लिए प्रेरणा बना हुआ है। नि:शक्त होने के बाद बावजूद 22 एकड़ जमीन में वैज्ञानिक पद्धति से पपीते की खेती कर ली है और फसलों के सिंचाई के लिए सोलर पैनल सेट का सहारा लिया। दरअसल उन्नत खेती करने के लिए पानी बेहद जरुरी है। ताकि समय समय पर सिंचाई कर सके, लेकिन बिजली मुसीबत खड़ी कर देती है। इसे देखते हुए बिजली की परेशानी न हो इसलिए बिजली को बाय बाय कर सौर ऊर्जा पैनल से 5 एचपी का पंप संचालित कर रहे हैं। यह विश्वसनीय नजारा देखना है तो ठाठापुर अंतर्गत भाठागांव चले आईए। ग्राम खैरझिटी निवासी 35 वर्षीय राजू पटेल जन्म से दोनों पैर से नि:शक्त हैं, जो पढ़ाई में स्नातक कर चुके हैं। पत्रिका संवाददाता पप्पू साहू उनसे मिलने उनके फार्म हाउस पहुंचे। चर्चा के दौरान राजू पटेल ने बताया कि पहले पढ़ाई पूरी करने के बाद डिग्री तो मिल गई, लेकिन असहाय होने के कारण मंजिल तक नहीं पहुंच पाए। इससे हार न मानते हुए उन्नत खेती करने की मन में आस जगी। इसके लिए बकायदा ग्राम ठाठापुर में लगभग 22 एकड़ के भूमि को अधिया लिया और पपीता की उन्नत खेती के लिए वैज्ञानिक पद्धति अपनाया।

22 acres of papaya cultivation

22 acres of papaya cultivation

पहले केवल पांच एकड़ भूमि में खेत
इससे पहले पिछले साल ग्राम डोंगरिया में कृषि के वैज्ञानिक पद्धति को अपनाकर करीब 5 एकड़ सिंचित भूमि पर पपीते की खेती की, जिससे फलों की पूरी उत्पादन लागत 2 लाख ८० हजार रुपए आई। वहीं कुल उत्पादन करीब साढे सात लाख की हुई। इस रूझान से अब उन्नत फलों की खेती करने की दिशा बदली। वहीं लाइट बंद होने की समस्या से निपटने के लिए सोलर पैनल का संयंत्र भी लगे हैं, जिससे पानी का समुचित व्यवस्था हो पाती है। इस तरह बिजली अगर बंद भी रहती है, तो सोलर पैनल के सहायता से फसलों की सिंचाई करते हैं।
फसल चक्र का ले रहे लाभ
नि:शक्त राजू अब पपीते की उन्नत खेती करने के बाद आत्मनिर्भर होकर इस दिशा में तेजी अग्रसर हो रहा है। तभी तो एक और बारह एकड़ के कृर्षि भूमि पर धान की फसल काट कर क्यारी बना कर केले की उन्नत बीज लगाने का काम कर रहे हैं। इसके लिए भी ड्रिप इरिगेशन टपक प्राणी का उपयोग कर पाइप बिछाने का काम कर रही है, जिससे नन्हे नन्हे पौधे को समय पर पानी मिल सके। साथ ही इस बागवानी फसल को अपना कर गांव के दर्जनों महिला पुरूष को काम मिल रहा है। यह किसान लोगों के लिए मिलास बन गया है। इससे किसानों को भी उत्साह मिल रहा है। नि:शक्त अच्छी फसल लेकर लाखों रुपए कमा रहा है। जिससे किसानों में हर्ष है। इसी प्रकार किसान फसल ले रहा है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो