योजना के तहत स्कूल में मध्यान्ह भोजन तो बनता है और बच्चों को योजना का लाभ भी मिल रहा है, लेकिन मध्यान्ह भोजन कक्ष जर्जर और बदहाल हो चुका है। अंदर प्रवेश करते ही कमरे अंधेरा छाया रहता हैइसके चलते रसोईया को खाना पकाते समय काफी दिक्कते होती है। यूं कहे कि रसोईया दमघोटू माहौल में बच्चों के लिए मध्यान्ह भोजन बना रहे हैं। दिन में भी कक्ष में अंधेरा छाया रहता है।
एक स्कूल में छात्र-छात्राओं के लिए पर्याप्त बैठक व्यवस्था नहीं है। वहीं साथ ही साथ शौचालय का भी बूरा हाल है। शौचालय पूरी तरह जर्जर और बदहाल हो चुका है। वहीं गंदगी पसरी हुई है। शौचालय की स्थिति ऐसी है कि मानो पिछले कई महीनों से सफाई कर्मचारी झांकने तक नहीं गया है। दरवाजे,खिड़की भी जंग लग चुके हैं। इसके बाद भी छात्र-छात्राएं मजबूरीवश उपयोग कर रहे हैं।
प्राथमिक शाला में १३१ छात्र-छात्राओं की दर्ज संख्या है, लेकिन स्कूल परिसर में एक भी हैण्डपंप नहीं है। जबकि इसी परिसर पर आंगनबाड़ी भी संचालित हो रहा है। पानी के लिए छात्र-छात्राएं तो परेशान है ही रसोईयों को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। लंबी दूरी तय दूर हैण्डपंप से पानी लाना पड़ता है। इससे साफ है प्राथमिक शाला में पानी की भी समस्या बनी रहती है। शिक्षक को पानी बॉटल लेकर स्कूल आते हैं। इसके कारण अब बच्चोंं को भी पानी बॉटल लाना पड़ रहा है। इसके कारण परेशानी बड़ गई है।