तीन माह धान खरीदी का समय निर्धारित था। इस दौरान कबीरधाम जिले के ६१ हजार १५१ किसान उपार्जन केंद्र पहुंचे और २७ लाख ८३ हजार क्विंटल धान बेचे। धान बिक्री के लिए ६८ हजार ४३७ किसानों ने पंजीयन कराया था, इसमें ७२८६ किसान धान बिक्री के लिए उपार्जन केंद्र ही नहीं पहुंचे। धान बिक्री नहीं करने के कारण कई कारण है। इसमें प्रमुख रूप से पानी की कमी रही। धान बिक्री नहीं करने वाले अधिकतर लघु कृषक हैं जिनके पास सिंचाई करने के लिए संसाधन मौजूद नहीं हैं। यह मुख्य रूप से बारिश पर ही निर्भर रहते है। खेतों को समय पर पानी नहीं मिला, जिसके कारण धान की फसल तो हुई, लेकिन उत्पादन नहीं हुआ।
अनुमान से अधिक उत्पादन
कृषि विभाग द्वारा हर साल अनुमानित फसल क्षेत्राच्छादन का आंकलन लगाया जाता है। २०१८ खरीफ वर्ष के लिए कृषि विभाग द्वारा धान का रकबा ७४८०० हेक्टेयर अनुमानित लक्ष्य था, लेकिन किसानों ने ८६४६२ हेक्टेयर में धान लगाए और अधिक उत्पादन किए। इसके चलते इस वर्ष अधिक धान की बिक्री हुई।
समर्थन मूल्य से प्रोत्साहित हुए
इस बार नई सरकार ने किसानों के धान को २५०० रुपए समर्थन मूल्य खरीदा। इसके चलते किसानों बढ़चढ़ कर धान बिक्री की। क्योंकि पिछले धान खरीदी वर्ष में ६२५१४ किसान पंजीकृत थे जिसमें १३३९५ किसानों ने धान की बिक्री नहीं की थी। इस बार बेहतर दाम मिलने के चलते ही कुल ६९५ करोड़ रुपए के धान बेचे गए।