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चार माह से नहीं खुला स्कूल, 38 बैगा बच्चों का भविष्य अंधकार में

locationकवर्धाPublished: Oct 12, 2018 11:55:07 am

Submitted by:

Panch Chandravanshi

शिक्षक के गैर जिम्मेदाराना रवैए के चलते स्कूल में विगत चार माह से पढ़ाई नहीं हो रही है। उक्त शिक्षक द्वारा महीने में केवल एक से दो ही दिन स्कूल पहुंचे हैं और हाजरी लगा कर वापस लौट आते हैं।

School not open for four months

School not open for four months

कवर्धा. शासन करोड़ों का बजट इन संरक्षित आदिवासी व बैगा जनजाति के विकास के लिए स्वीकृति प्रदान करती है। ताकि शिक्षा ग्रहण कर समाज की मुख्य धरा से जुड़ सके और अपनी अधिकारों की रक्षा कर सके, लेकिन कुछ स्वर्थी लोगों के चलते इन लोगों के विकास में रोड़ा बने हुए हैं।
बोड़ला ब्लाक के मगरवाड़ा संकुल अंतर्गत बैगा बहुल्य ग्राम व कुरलुपानी में प्राथमिक शाला संचालित है, जहां कक्षा पहली से लेकर पांचवीं तक बैगा और अगरिया संरक्षित जाती के कुल 38 नवनिहाल छात्र- छात्राएं अध्ययनरत है। लेकिन आश्चर्य की बात है कि ग्राम कुरलुपानी के प्राथमिक शाला में शिक्षा सत्र शुरु होने से ही लापरवाही बरती जा रही है। अभी वहां पदस्थ एकल शिक्षक के गैर जिम्मेदाराना रवैए के चलते स्कूल में विगत चार माह से पढ़ाई नहीं हो रही है। उक्त शिक्षक द्वारा महीने में केवल एक से दो ही दिन स्कूल पहुंचे हैं और हाजरी लगा कर वापस लौट आते हैं। ग्रामीण सहित छात्रों का कहना था कि स्कूल में केवल मध्यान्ह भोजन के बाद छुट्टी कर दी जाती है। मतलब साफ है कि स्कूल संचालन की जिम्मेदारी रसोईए पर ही है। वह जैसे तैसे मध्यान्ह भोजन बनाकर बच्चों को खिला रही है और जिम्मेदार स्कूल पहुंचने के बजाए घर में आराम फरमा रहा है।
अधिकारी नहीं कर रहे मॉनेटरिंग
बैगा बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल सके। इस उद्देश्य से कुरलुपानी में प्राथमिक शाला संचालित हो रही है। स्कूल संचालन की जिम्मेदारी एक शिक्षक पर है। इसमें लापरवाही बरती जा रही है। जबकि बच्चों के दर्ज संख्या के हिसाब से दो शिक्षक की पोस्टिंग होनी थी, लेकिन जिम्मेदारों के अनदेखी के चलते अब तक सिर्फ एक शिक्षक की ही पदस्थ है। स्कूल में विगत चार माह से पढ़ाई नहीं हो रही है, लेकिन अभी तक न संकुल समन्वयक ने इस बारे में कोई रिपोट सम्बंधित अधिकारी को भेजा है न ही अनुपस्थित रहने वाले शिक्षक को निर्देशित किया गया है। मतलब साफ़ है वन ग्राम में संचालित होने वाली स्कूलों की मानिटरिंग नहीं हो रही है। चार माह से स्कूल बंद है और पता ही नहीं।
ऐसे संचालित हो रहा वनांचल का स्कूल
बोड़ला ब्लाक के अंतर्गत करीब 60 प्रतिशत प्राथमिक व माध्यमिक स्कूल संचालित हो रही है, वनांचल क्षेत्र होने के कारण ज्यादातर शिक्षक अपना पोस्टिंग यहां नहीं करना चाहता। जिनकी पोस्टिंग इन क्षेत्रों में हुई है वह कोई न कोई जुगत कर शहरी क्षेत्र में आना चाहता है, जो ऐसा नहीं कर पाते वे लापरवाही बरते हुए स्कूल में अपनी रेगुलर उपस्थिति नहीं देता। इसे रोकने वाला कोई नहीं है। क्योंकि वनांचल के लोग अपनी जीवकोपार्जन में लगे रहते हैं। इन्हें शिकायत करने का न समय है न ही इतना हौसला। इन सब के चलते वन क्षेत्र की स्कूल भगवान भरोसे चल रही है।
शिक्षक नियमित नहीं जाता स्कूल
उच्चाधिकारी के सह पर शिक्षक स्कूल बंद कर सभी काम-काज सिर्फ कागजों में दर्ज कर अपने कर्तव्यों से मूंह मोड़ रहा है। इधर जिम्मेदार भी ऐसे लापरवाही बरतने वाले शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई करने बजाए उन्हे संरक्षण दे रहा है। इसके चलते पिछले पांच माह से स्कूल के पढ़ाई व्यवस्था पूरी तरह ठप्प हो चुका है। इन सब के चलते इन संरक्षित जाति के 38 नवनिहालों का भविष्य खराब हो रहा है। इस संबंध में विकासखंड शिक्षा अधिकारी का कहना है कि इस संबंध में मुझे कोई जानकारी नहीं थी। सम्बंधित शिक्षक को तुरंत बुला कर मामले की जानकारी ली जाएगी और निश्चित ही लापरवाही बरतने वाले शिक्षक पर कार्रवाई की जाएगी।
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