अधिकारी नहीं कर रहे मॉनेटरिंग
बैगा बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल सके। इस उद्देश्य से कुरलुपानी में प्राथमिक शाला संचालित हो रही है। स्कूल संचालन की जिम्मेदारी एक शिक्षक पर है। इसमें लापरवाही बरती जा रही है। जबकि बच्चों के दर्ज संख्या के हिसाब से दो शिक्षक की पोस्टिंग होनी थी, लेकिन जिम्मेदारों के अनदेखी के चलते अब तक सिर्फ एक शिक्षक की ही पदस्थ है। स्कूल में विगत चार माह से पढ़ाई नहीं हो रही है, लेकिन अभी तक न संकुल समन्वयक ने इस बारे में कोई रिपोट सम्बंधित अधिकारी को भेजा है न ही अनुपस्थित रहने वाले शिक्षक को निर्देशित किया गया है। मतलब साफ़ है वन ग्राम में संचालित होने वाली स्कूलों की मानिटरिंग नहीं हो रही है। चार माह से स्कूल बंद है और पता ही नहीं।
बैगा बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल सके। इस उद्देश्य से कुरलुपानी में प्राथमिक शाला संचालित हो रही है। स्कूल संचालन की जिम्मेदारी एक शिक्षक पर है। इसमें लापरवाही बरती जा रही है। जबकि बच्चों के दर्ज संख्या के हिसाब से दो शिक्षक की पोस्टिंग होनी थी, लेकिन जिम्मेदारों के अनदेखी के चलते अब तक सिर्फ एक शिक्षक की ही पदस्थ है। स्कूल में विगत चार माह से पढ़ाई नहीं हो रही है, लेकिन अभी तक न संकुल समन्वयक ने इस बारे में कोई रिपोट सम्बंधित अधिकारी को भेजा है न ही अनुपस्थित रहने वाले शिक्षक को निर्देशित किया गया है। मतलब साफ़ है वन ग्राम में संचालित होने वाली स्कूलों की मानिटरिंग नहीं हो रही है। चार माह से स्कूल बंद है और पता ही नहीं।
ऐसे संचालित हो रहा वनांचल का स्कूल
बोड़ला ब्लाक के अंतर्गत करीब 60 प्रतिशत प्राथमिक व माध्यमिक स्कूल संचालित हो रही है, वनांचल क्षेत्र होने के कारण ज्यादातर शिक्षक अपना पोस्टिंग यहां नहीं करना चाहता। जिनकी पोस्टिंग इन क्षेत्रों में हुई है वह कोई न कोई जुगत कर शहरी क्षेत्र में आना चाहता है, जो ऐसा नहीं कर पाते वे लापरवाही बरते हुए स्कूल में अपनी रेगुलर उपस्थिति नहीं देता। इसे रोकने वाला कोई नहीं है। क्योंकि वनांचल के लोग अपनी जीवकोपार्जन में लगे रहते हैं। इन्हें शिकायत करने का न समय है न ही इतना हौसला। इन सब के चलते वन क्षेत्र की स्कूल भगवान भरोसे चल रही है।
बोड़ला ब्लाक के अंतर्गत करीब 60 प्रतिशत प्राथमिक व माध्यमिक स्कूल संचालित हो रही है, वनांचल क्षेत्र होने के कारण ज्यादातर शिक्षक अपना पोस्टिंग यहां नहीं करना चाहता। जिनकी पोस्टिंग इन क्षेत्रों में हुई है वह कोई न कोई जुगत कर शहरी क्षेत्र में आना चाहता है, जो ऐसा नहीं कर पाते वे लापरवाही बरते हुए स्कूल में अपनी रेगुलर उपस्थिति नहीं देता। इसे रोकने वाला कोई नहीं है। क्योंकि वनांचल के लोग अपनी जीवकोपार्जन में लगे रहते हैं। इन्हें शिकायत करने का न समय है न ही इतना हौसला। इन सब के चलते वन क्षेत्र की स्कूल भगवान भरोसे चल रही है।
शिक्षक नियमित नहीं जाता स्कूल
उच्चाधिकारी के सह पर शिक्षक स्कूल बंद कर सभी काम-काज सिर्फ कागजों में दर्ज कर अपने कर्तव्यों से मूंह मोड़ रहा है। इधर जिम्मेदार भी ऐसे लापरवाही बरतने वाले शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई करने बजाए उन्हे संरक्षण दे रहा है। इसके चलते पिछले पांच माह से स्कूल के पढ़ाई व्यवस्था पूरी तरह ठप्प हो चुका है। इन सब के चलते इन संरक्षित जाति के 38 नवनिहालों का भविष्य खराब हो रहा है। इस संबंध में विकासखंड शिक्षा अधिकारी का कहना है कि इस संबंध में मुझे कोई जानकारी नहीं थी। सम्बंधित शिक्षक को तुरंत बुला कर मामले की जानकारी ली जाएगी और निश्चित ही लापरवाही बरतने वाले शिक्षक पर कार्रवाई की जाएगी।
उच्चाधिकारी के सह पर शिक्षक स्कूल बंद कर सभी काम-काज सिर्फ कागजों में दर्ज कर अपने कर्तव्यों से मूंह मोड़ रहा है। इधर जिम्मेदार भी ऐसे लापरवाही बरतने वाले शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई करने बजाए उन्हे संरक्षण दे रहा है। इसके चलते पिछले पांच माह से स्कूल के पढ़ाई व्यवस्था पूरी तरह ठप्प हो चुका है। इन सब के चलते इन संरक्षित जाति के 38 नवनिहालों का भविष्य खराब हो रहा है। इस संबंध में विकासखंड शिक्षा अधिकारी का कहना है कि इस संबंध में मुझे कोई जानकारी नहीं थी। सम्बंधित शिक्षक को तुरंत बुला कर मामले की जानकारी ली जाएगी और निश्चित ही लापरवाही बरतने वाले शिक्षक पर कार्रवाई की जाएगी।