विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए निर्वाचन आयोग के ओर से सख्त निर्देश मिला है कि बूथ केंद्रों या सरकारी भवनों में शौचालय, बिजली, पानी, रैम्प की व्यवस्था को दुरुस्त किया जाए। इसके बाद भी शौचालय की ऐसी स्थिति विभाग के जिम्मेदारों की उदासीनता को प्रदर्शित करता है। निर्वाचन आयोग अपनी पूर्ण तैयारी के साथ विधानसभा चुनाव सम्पन्न कराने को तैयार है। सभी विभाग को सख्त आदेश देते हुए बूथ केंद्रों को सर्व सुविधायुक्ततैयार रखने को कहा गया है, लेकिन इसको पलिता लगाने में विभाग नाकाम साबित हो रहा है।
50 हजार रुपए लागत से बनने वाले शौचालय आज स्थिति में उपयोग करने की लायक भी नहीं है। शौचालय का ऊपरी दीवार गिर गया है। लोहे का दरवाजा, खिड़की सब टूट गया है। जो कुछ बचा है उसमें जंक लग गया है, जो नौनिहालों को नुकसान पहुचा सकता है। यह स्कूल बूथ केंद्र भी है। शौचालय की स्थिति खराब होने के कारण चुनाव कराने आए अधिकारी व कर्मचारी को शौच के लिये भटकना पड़ सकता है। या परदे से शौचालय बनाना पडेगा। इससे परेशानी भी होगी।
पूरी तरह जर्जर शौचालय के कारण बच्चों के खुले में शौच जाने की बात भले ही सुनने में साधारण व छोटी लगती हो, लेकिन इन नौनिहालों को खुले में शौच के दौरान कई लकलीफे व परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कई बार सड़क किनारे झाडिय़ों, तालाब किनारे, नाला के पास शौच के दौरान बच्चों को जोखिम उठाते देखा गया है। शौच के लिए बच्चे सड़क किनारे नाला में चले जाते हैं, जिससे हादसे का डर ज्यादा बना रहता है। इसके बाद भी जिम्मेदार अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं।